आज (28-03-2021) राजस्थान पत्रिका के संस्करणों मेंं। |
होली आई है
कोकिल स्वर का मधु बरसाए
गदराई अमिया जब
हरे रंग को पीला करती जाए
भौंरे तान छेड़ते जाएँ
रस कन में मदमाते
समझो होली आई है।
मन की सरसों पीली हो जाए
हरा चना भी नीला मुकुट सजाए
हमजोली से गठबंधन की
इच्छा जग जाए
समझो होली आई है ।
भीतर के रंगों की बारातें
अंगुलियों की थिरकन बन जाए
किसी कपोल के स्पर्शन से
आँखें मादकपन बरसाएँ
ठंडे पानी की पिचकारी
मन को गर्मी दे जाए
समझो होली आई है ।
मस्ती भरे, चाहत के रंगों से
प्रिय के चेहरे पर
रंगों का कोलाज बनाए
समझो होली आई है ।
तकती चितवन, रंग भरा मन
लाज स्पर्श की छोड़
रंगों से सराबोर हो जाए।
समझो होली आई है ।
घर में दादी नानी भी
मीठी- चरकी पपड़ी
और गुजिया का स्वाद रचाए
समझो होली आई है।
युवकों का टुल्लर जब
सड़कों पर टोल टैक्स बन जाए
जेबें खुल जाए चंदे में
ना देने पर कारें पंचर हो जाएँ
समझो होली आई है।
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