इंसानियत कहीं खो गयी
भीड़ भरी महफ़िल में अपनों को पहचानना मुश्किल होने लगा।
पहन कर नक़ाब यू निकल जाते है लोग।
वातावरण को दूषित बताने लगे लोग।।
मिलो जो उनसे पलकों पे बिठाने की बात करते है लोग।
ना मिलो कभी तो फोन भी नही कर पाते है लोग।।
बात करे हम तो स्वयं को व्यस्त बताते है लोग।।
जीवन की भागती डगर में दोगलेपन का नक़ाब लगाते है लोग।।
नाम जरा सा किसी का हो जाये उसका अपना लगते जिगर बताते है लोग।।
बिना स्वार्थ यहाँ किसी को कोई नही अपनाता।
आज जनाज़े को कंधा देने भी नही आते है लोग।।
दर्द भरी कविता कोअपनाते है लोग।।
ज़माने में दर्द बिकने लगा बहुत ख़ूब, क्या लिखा कह जाते है लोग।
बिन दर्द के कोई कविता बन ना पाती।
गम हॄदय में छुपकर क़लम चलती जाती।
तभी एक नयी कविता बन पाती।।
ख़ुशी में अपना अक़्स ही पहचान नही पाते है लोग।।
भीड़ भरी दुनिया मे नक़ाब लगाते है लोग।।
© डॉ. मोनिका शर्मा
विरहणी का विरह
तुम क्या गए,हम बिन प्राण रह गए।
जाते देखा तुमको,फिर भी रोक ना पाए।।
जिंदगी जीती तो नही बस कटती है तेरे बिन।
तुम चार कंधो पर गए पिय।
हम बिन पानी तड़पते रहे ।।
करे भी क्या इस जीवन का
अब नही कोई मोल रहा।
तेरे संग सब रंग ,अब हर रंग बिन मोल गया।।
जिंदगी की लड़ाई हर हाल में लड़नी है।
साथ मे होते तुम, बात चाँद संग तारे होती।
आज अमावस की रात पिय,सुबह अब निराली है।
आता सूरज किरण संग,उम्र अब नही बाली है।।
तेरे संग संग चला गया सब,मन अब खाली है।।
तुम क्या गए प्रिय हम मीन बन तड़पते है।।
आँखों अश्रुधार नही,समंदर सब खारे लगते है।।
तुम क्या गए प्रिय हम बिन प्राण रह गए।।
©डॉ. मोनिका शर्मा
डॉ . मोनिका देवी
जन्म : कादरगढ़, जिला शामली (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा ग्रामीण विद्यालय में, स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा मद्रास से एम.फिल . और उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद से हिन्दी साहित्य में पी - एच.डी .। हैदराबाद के ही प्रख्यात स्वायत्त निजाम कॉलेज से अनुवाद अध्ययन में डिप्लोमा।
प्रकाशित पुस्तकें-
1.अंतिम दशक की कहानियों में वैचारिक संघर्ष
2.भगवती चरण मिश्र के उपन्यास लक्ष्मण रेखा ' में समकालीनता बोध
3 . अनुवाद के विविध आयाम (संपादित)
4 . समकालीन कहानियों में विविध विमर्श (सं.)
5. समकालीन उपन्यासों में विविध विमर्श (सं.)
साहित्यिक गतिविधियां:-
*सदस्य सम्पादन मण्डल बोहल शोध मंजूषा और आलेखन दृष्टि। सहसंपादक- अक्षरवार्ता (मासिक), शोध दर्पण (मासिक), हिंदी की गूंज अंतर्राष्ट्रीय ई - पत्रिका, जापान।
*राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोध और सृजनात्मक पत्र पत्रिकाओं , समाचारपत्रों में निरंतर लेखन और भागीदारी। आकाशवाणी से काव्य पाठ और साक्षात्कार प्रसारण। हिन्दी के समकालीन युवा साहित्यकारों में पहचान।
सम्मान और पुरस्कार :-
पी - एच.डी . उपाधि के उत्तमोत्तम शोध कार्य के लिए ' बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन' से शताब्दी सम्मान, साहिटय अकादमी संस्कृति परिषद, मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग - भोपाल, श्रीमती सरबती देवी सम्मान, काव्य रंगोली संस्था द्वारा साहित्य रंगोली सम्मान, निर्मला हिन्दी साहित्य रत्न सम्मान, राष्ट्रीय रत्न सम्मान, प्रतिभा रक्षा सम्मान समिति (करनाल, हरियाणा) से सम्मानित, प्रशंसा - पत्र (साहित्य संस्था, ब्रिटेन), शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान (सविता चड्ढा जन सेवा समिति), विश्व साहित्य रथी सम्मान (कनाडा) आदि।
संप्रति: प्रिंसिपल, गुरुनानक कन्या इंटर कॉलेज,
जलालाबाद शामली (उत्तर प्रदेश)
संपर्क : मोबाइल : 8074544946
ईमेल : monikadevi.2911@gmail.com