1. बारिश में कुहरा छाया है.!
बन्धु कुशावर्ती
गज़ब! गाँव में बारिश के दिन।
कुहरा-धुँन्ध भरे नभ के दिन।
अजब सुबह कुहरा छाया है !
जाडे़ बिना, धुन्ध आया है!
पेड़ दिख रहे धुँधले - धुँधले !
हरियाली भी धुँधली - धुँधली !
खेत धान के धुँधले - धुधले!
प्रकृति हुई सब , धुँधली-धुँधली!
सूरज अभी नहीं निकला है!
दिखता सब धुँधला-धुँधला है !
पूरब में जो पीला - धुँधला !
शायद यह सूरज का गोला !
ताक-झाँक की कोशिश में अब !
सूरज भी बनने को बेढब!
पूरी ताकत लगा रहा है !
अजमाता है सब के सब ढब !
अब नीला आकाश दिखा कुछ!
धुँन्ध औ' कुहरा भी छँटता कुछ!
प्रकृति-खेत-तरु भी कुछ दिखते!
दूर क्षितिज भी, दिखता है कुछ !
सूरज में भी चमक बढी़ है।
धमक धूप की भी छितरी है!
नभ में भी आये हैं बादल!
धुँन्ध औ' कुहरे हुए बेदखल!
2. जीवन
बन्धु कुशावर्ती
बन्धन यों तो किसको कहाँ सुहाता है?
पर समझो तो बन्धन में ही
जीवन है।
पक्षी उड़ते और विचरते हैं
दिन भर,
किन्तु;साँझ में बासा मिलना
जीवन है।
काम-कमाई,दौड़ - भाग भी
यहाँ - वहाँ,
इसीलिये कि चरैवेति में जीवन है।
मुक्त विचरना - जीना लाख सुहाता हो,
पर सुकून की नींद बिना क्या
जीवन है?
षट् - रस व्यंजन, पैसे, खूब
ऐशो-आराम।
क्या दे देगा? मिला न यदि
अपनापन है।
अपनी छत, अपनी ज़मीन यदि
नहीं कहीं,
तो बे-दर - दीवार भी कोई जीवन है?
©® कविता व चित्र
बन्धु कुशावर्ती
बन्धु कुशावर्ती ९७२१८ ९९२६८ |
लेखक कहना है :
बच्चों की यह कविता मैंने आज सुबह गाँव में जाडो़ की तरह कुहरा और धुँन्ध का साम्राज्य छाया हुआ देखकर लिखी है। प्राकृतिक-विचित्रता की ये यथार्थ-छवि लिपिबद्ध करने के साथ ही इसके कुछ चित्र खींच लेना भी मेरे लिये उपलब्धि है!
इन चित्रों में पहली छवि १९ सितम्बर की धुँधलायी और कुहासे-भरी सुबह की है तथा बाद की दोनों छवियाँ दो घण्टे बाद ही कुछ खुली धूप में आसमान में आ फैले बादलों व प्राकृतिक-परिवेश की है।
लेखक का परिचय :
अवध क्षेत्रीय सांस्कृतिक - साहित्यिक परिवेश के जिले सुलतानपुर (उत्तर प्रदेश) में
जन्म : ५ अक्तूबर, १९४९।
विद्यार्थी जीवन से लेखन - प्रकाशन के साथ साहित्यिक - सांस्कृतिक पत्रकारिता और साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन। बालसाहित्य के परिदृश्य का एकाग्रता से अध्ययन एवं समीक्षात्मक आलोचनात्मक लेखन।
सम्पादक :
१. ' कात्यायनी ' एवं ' सजीला ' (लखनऊ १ ९६८-१९ ७४) से प्रारम्भ से ही सम्पादकीय - सहयोगी के रूप में जुड़ाव।
२. ' लघुकथा ' एवं बालरंगमंच ' पत्रिकाओं का १६७४ से १ ९ ६२ तक संपादन प्रकाशन।
३. सम्पूर्ण बालरचनाएँ : अमृतलाल नागर (२०११) कासम्पादन एवं भूमिका - लेखन।
४. सुभद्राकुमारी चौहान का बालोपयोगी किशोरोपयोगी साहित्य (संचयन) एवं ' कुली प्रथा ' (जब्तशुदा नाटक) / लक्ष्मणसिंह चौहान : प्रकाशनाधीन।
५. बालसाहित्यालोचन : अभिनव हस्तक्षेप (खण्ड : २ व ३) लेखनाधीन
सम्मान एवं पुरस्कार : 'लल्लीप्रसाद पाण्डेय बालसाहित्य पत्रकारिता सम्मान ' - २०१५ से उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा समादृत।
सम्पर्क:
४५६/२४७, दौलतगंज (साजन मैरिज हॉल के सामने), डाकघर - चौक, लखनऊ -२२६००३ (अवध)
मो. ९७२१८६६२६८
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