2021 : पर्यावरण आधारित फिल्मों की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण वर्ष

Dr. Mulla Adam Ali
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    पर्यावरण पर प्रकाशन हेतु भेजे जा चुके लेख का एक अंश :
   सन् 2021 पर्यावरण आधारित फिल्मों की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण वर्ष कहा जा सकता है क्योंकि इस वर्ष के पहले छह महीनों में ही ऐसी अनेक फिल्में प्रदर्शित हुई हैं, जिनमें पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखा गया है। ‘एक अंक’ (एक Ank), ‘वनरक्षक’ (Vanrakshak) और ‘शेरनी’ (Sherni) को इनमें गिना जा सकता है। ‘एक अंक’ फिल्म नदियों की दुर्दशा की करुण कहानी कहती है और एक व्यक्ति के अकेले प्रयासों से किस प्रकार एक नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाया जा सकता है, इसकी चर्चा करती है। ‘वनरक्षक’ अभिनेता यशपाल शर्मा को केंद्र में रखकर निर्मित फिल्म है, जिसमें निर्देशक पवन कुमार शर्मा ने मशीनीकरण और आधुनिकीकरण की अंधी होड़ में पहाड़ों, विशेषकर हिमाचल प्रदेश में वनों की हो रही अंधाधुंध कटान एवं ज़रा सी असावधानी के कारण जंगलों में लग रही आग की समस्या पर प्रकाश डाला है। इस फिल्म में वृक्षों के कटने से हिमाचल प्रदेश की जलवायु में हो रहे बदलावों को एक वनरक्षक महसूस करता है और प्रकृति के संरक्षण के लिए आखिरी सांस तक लड़ता है। ‘शेरनी’ विद्या बालन की फिल्म है, जिसमें वन्यजीवों, विशेषकर बाघों के संरक्षण पर बात की गई है| यह फिल्म शिकारियों, नेताओं तथा अधिकारियों के अपवित्र गठजोड़ एवं मीडिया की निराशाजनक भूमिका को केंद्र में रखकर एक शेरनी और उसके दो शावकों को मरने से बचाने के लिए किए गए संघर्ष की कथा कहती है। इस फिल्म में बताया गया है कि मनुष्य के अंतहीन लालच के कारण किस प्रकार वन्यजीवों के चरागाह और रहवास तेज़ी से घटते जा रहे हैं और उन्हें भोजन के लिए मानव बस्तियों में आना पड़ रहा है, जो मनुष्यों तथा पशुओं दोनों के लिए ही खतरनाक है| इसके अतिरिक्त बीते 11 वर्षों से शेखर कपूर की बहुप्रचारित फिल्म ‘पानी’ भी बनने की बाट जोह रही है, जो पानी की समस्या पर केंद्रित होगी।

वेब सीरीज़ की दुनिया में नज़र दौड़ाएं तो सन 2019 में प्रदर्शित ‘द फैमिली मैन के पहले सीज़न के अंतिम भाग में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा दिल्ली में एक फैक्ट्री से ज़हरीली गैस छोड़े जाने की घटना दिखाई गई है, जिसे सन 2021 में प्रदर्शित इसके दूसरे सीज़न में बेहद हल्के-फुल्के ढंग से निपटाकर इसका पटाक्षेप कर दिया गया है। अतः इस घटना को इस सीरीज़ की प्रधान पर्यावरणीय चिंता की कथावस्तु नहीं माना जा सकता| इसके अतिरिक्त वर्ष 2019 में ही एक अन्य वेब सीरीज़ ‘हवा बदले हस्सू’ प्रदर्शित हुई थी, जिसमें पर्यावरण संरक्षण के लिए जीवन शैली में बदलाव की वकालत की गई है और प्रकृति से तादात्म्य स्थापित करने के लिए लोगों को जागरूक किया गया है| निर्देशक सप्तराज और शिवा ने जलवायु परिवर्तन और विज्ञान थ्रिलर का मसाला इस सीरीज़ में इतनी कुशलता से मिश्रित किया है कि गेल इण्डिया के सहयोग से निर्मित यह सीरीज़ अपने जलवायुविक संरक्षण के संदेश को प्रसारित करने में सफल सिद्ध होती है। फिल्मकार नीलमाधव पांडा ने भी हाल ही में पर्यावरण संरक्षण पर एक वेब सीरीज़ बनाने की घोषणा की है।

इनके अलावा बीते कुछ वर्षों में पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखकर अनेक वृत्तचित्र बनाए गए हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोहरत बटोरी है। साल 2019 में नई दिल्ली मे आयोजित हुए सीएमएस फिल्म फेस्टिवल की थीम ‘हिमालय’ (Himalay) थी, जिसमें 60 देशों की एक हजार से अधिक फिल्मों में से 77 को प्रदर्शन हेतु चुना गया था। इसी वर्ष निर्मित ‘शिखर से पुकार’ वृत्तचित्र जल संरक्षण और माउंट एवरेस्ट पर बढ़ रहे प्रदूषण की कथावस्तु पर आधारित था। वर्ष 2021 में राहुल जैन द्वारा निर्मित वृत्तचित्र ‘इनविजिबल डीमन्स’ (Invisible Demons) दिल्ली में सूक्ष्म कणों के कारण फैल रहे वायु प्रदूषण पर आधारित है| दिल्ली तथा इसके आसपास के क्षेत्रों मे विगत कुछ वर्षों में बढ़ते स्मॉग की भयावहता को यह वृत्तचित्र स्थिर चित्रों एवं सचल चित्रों के माध्यम से महसूस कराने में सफल रहा है| इस वृत्तचित्र को अमेरिकी फिल्म ‘स्टीलवाटर’, (stillwater) फ्रांसीसी फिल्म ‘द क्रूसेड’ (the Cursed) तथा वृत्तचित्रों ‘अबव वाटर’, ‘एनीमल’, (animal) आइ एम सो सॉरी’, (I'm so sorry) ‘बिगर दैन यूएस’ (Bigger Than Us) और ‘ला पैन्थर डेस नी’ के साथ 06 से 17 जुलाई 2021 के मध्य आयोजित होने वाले केन्स फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शन हेतु चुना गया है।
डॉ. पुनीत बिसारिया
आचार्य एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी


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