हिंदी साहित्य की सुप्रसिद्ध कथाकार मन्नू भंडारी का आज (15 नवंबर) निधन हो गया (90 साल)। उनका निधन आज गुरुग्राम के नारायण अस्पताल में हुआ। मन्नू भंडारी जी का जन्म 3 अप्रैल 1931 को भानपुर मंदसौर में हुआ था। महेंद्र कुमारी (बचपन का नाम)। उनके पिता संपत राय भी प्रसिद्ध लेखक थे। यही सच है, महाभोज, आपका बंटी, एक इंच मुस्कान इत्यादि अपनी कालजयी रचनाओं के कारण मन्नू भंडारी सदैव याद की जायेंगी। 'एक कहानी यह भी ' शीर्षक उनकी आत्मकथात्मक कृति बखूबी यह बयां करती है कि उनका जीवन कितने संघर्षों, कितने दु:खों की महागाथा थी। राजेंद्र यादव से पिता की इच्छा के विरुद्ध प्रेमविवाह के उपरांत उन्हें पति से उपेक्षा, तिरस्कार और दुखों का जो सैलाब मिला, वह वर्णनातीत है। महाभोज उपन्यास का नाट्य रूपांतरण, रजनी सीरियल की पटकथा अथवा प्रेमचंद की सेवा सेर गेहूं कहानी का रूपांतरण उनकी अन्य उपलब्धियां हैं।सोमा बुआ (अकेली ), कुंती (क्षय), संजय, निशीथ, दीपा (यही सच है), बिसेसर, दा साहेब, सुकुल बाबू, बिंदा, जोरावर, (महाभोज), शकुन, बंटी, फूफी (आपका बंटी ) मन्नू के अविस्मरणीय पात्र हैं। मैं हार गई, तीन निगाहों की तस्वीर, रानी मां का चबूतरा, बांहों का घेरा, एक प्लेट सैलाब, त्रिशंकु, कील और कसक, ईसा के घर इंसान, एखानेआकाश नांइ, अलगाव सरीखी कहानियां मन्नू भंडारी की बेहतरीन कहानियां हैं। यही सच है कहानी पर बनी रजनीगंधा मूवी लाजवाब है। महिला कथाकारों में शीर्षस्थ मन्नू भंडारी के निधन पर उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि।
रचनाएँ -
कहानी व कहानी-संग्रह :
एक प्लेट सैलाब (1962)
मैं हार गई (1957),
तीन निगाहों की एक तस्वीर,
यही सच है (1966),
त्रिशंकु,
आँखों देखा झूठ,
श्रेष्ठ कहानियाँ,
नायक, खलनायक, विदूषक।
उपन्यास :
1. आपका बंटी (1971) - एक बच्चे को केंद्र में रखकर लिखा गया है जो विवाह से विच्छेद त्रासदी में पीस रहा।
2. एक इंच मुस्कान (1962) - एक इंच मुस्कान पढ़े-लिखे आधुनिक लोगों की एक दुखांत प्रेमकथा है, जिसका एक-एक अंक लेखक-द्वय ने क्रमानुसार लिखा।
3. महाभोज (1979) - यह उपन्यास नौकरशाही और राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच आम आदमी की पीड़ा को उद्घाटित करता है। इस उपन्यास पर आधारित नाटक अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था।
4. 'यही सच है' - इस पर आधार'रजनीगंधा' फिल्म अत्यंत लोकप्रिय हुई थी और सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी 1974 में प्राप्त हुआ था।
5. स्वामी,
6. कलवा।
नाटक :
'बिना दीवारों का घर' (1966)
पटकथाएँ :
रजनी, निर्मला, स्वामी, दर्पण।
पुरस्कार और सम्मान :
हिन्दी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान,
बिहार सरकार,
भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता,
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी,
व्यास सम्मान और
उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत।
भारतीय कॉपीराइट कानून में एक ऐतिहासिक निर्णय
मन्नू भंडारी ने अपने ‘आप का बंटी’ (दूसरे उपन्यास) के अधिकार बेच दिए थे। बाद में इसे धर्मेंद्र गोयल द्वारा निर्मित और शिशिर मिश्रा द्वारा निर्देशित फिल्म इस्तेमाल किया गया। ‘समय की धारा’ फिल्म में टीना मुनीम, शत्रुघ्न सिन्हा, शबाना आज़मी और विनोद मेहरा ने अभिनय किया था। मन्नू भंडारी ने बाद में फिल्म निर्माताओं पर इस आधार पर मुकदमा दायर किया कि भारतीय कॉपीराइट कानून का उल्लंघन किया गया है। इस मामले में निर्णय भारतीय कॉपीराइट कानून (Copyright law of India) में एक ऐतिहासिक निर्णय रहा। जिसने भारतीय कॉपीराइट कानून के तहत लेखक के नैतिक अधिकारों (moral rights) के दायरे को स्पष्ट किया।
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