सरसों के फूल
शिवचरण चौहान
आज फिर बरबस खिले हैं
फूल सरसों के।
पुरुरवा संग उर्वशी
की याद बरसों के।।
सरसों के पीले पीले फूल देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है। मन में उल्लास जागृत होता है। मधुमक्खियां तितलियां और भंवरे सरसों के फूलों पर गुंजार करते हैं।
सरसों जंगलों में उगता था। सरसों का पौधा कहां से आया इसके कोई ऐतिहासिक प्रमाण तो नहीं मिलता किंतु भारत में आदिकाल से सरसों की खेती की जा रही है। आयुर्वेद में इसके तेल के बहुत उपयोग बताए गए हैं। भारत में मूंगफली के बाद तिलहनी फसलों में सरसों का प्रमुख स्थान है। सरसों के कुल के सफेद फूलों वाला करण , मूली और शलजम के पौधे सरसों के कुल के ही बताए जाते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता में मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई में सरसों भारत में बहुतायत में बोए जाने के प्रमाण मिले हैं। ईशा से करीब 3000 साल पहले भारत में पीला सरसों होता था इसके प्रमाण मिलते हैं। सुमेरियन सभ्यता में भी सरसों का उल्लेख मिलता है। कुछ रोमन ग्रंथों में भी सरसों का उल्लेख मिलता है।
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भारत-बांग्लादेश पाकिस्तान म्यामार आदि अनेक देशों में सरसों की खेती की जाती थी। हल्के पीले और सफेद रंग का सरसों अमेरिका सहित अनेक देशों में पाया गया है।
सरसों के फूल पीले रंग के होते हैं। लगता है जैसे छोटे-छोटे सोने के फूल फूलें हैं। पहले सरसों के फूल जनवरी-फरवरी में फूलते थे । अब अगैती सरसों, राई, लाही की बुवाई सितंबर में हो जाती है और नवंबर में फूल खिलने लगते हैं। दिसंबर और जनवरी में फसल की कटाई के बाद किसान उसी खेत में गेहूं बो लेते हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने करीब 30 तरह के सरसों की किस्में विकसित की है।
सरसों के फूल इतने आकर्षक होते हैं कि देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। 2 से 3 फीट ऊंचे पौधे पर हरे रंग की पत्तियों के शीर्ष पर गुच्छा नुमा पीले पीले फूल हर किसी का मन मोह लेते हैं। पीले सरसों की फलियां मोटी होती हैं जबकि लाही की फलियां पतली और उनके अंदर काले बीज निकलते हैं। आयुर्वेदिक दृष्टि से पीली सरसों का तेल बहुत उपयोगी माना जाता है। पीले बीज वाले को ही सरसों कहा जाता है। पहले लकड़ी के कोल्हू से तेल निकाला जाता था जो एकदम शुद्ध होता था। अब कच्ची घानी के नाम पर कंपनियां उपभोक्ताओं को धोखा देती हैं। सरसों में केमिकल और आर्जीमोन के बीज मिलाकर झाग पैदा करती हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है और मनुष्य को कैंसर जैसी बीमारी देता है। शुद्ध सरसों के तेल में बहुत झाग नहीं होती। तीखापन तो होता है जो चर्म रोग को खत्म करता है। सरसों के तेल से अनेक खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं। सरसों के तेल से भारत में आदिकाल से पूरी पकवान बनाए जाते रहे हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद होते थे। सरसों विकास आयोग ने 2021 में एक अध्ययन के बाद बताया है कि ईसा से 6000 साल पूर्व भारत में सरसों जंगलों के बाद किसान खेतों में उगाने लगे थे। आज कनाडा और नेपाल सरसों के प्रमुख उत्पादक देश हैं। सरसों क्रूसीफेरी कुल का पौधा है इसका वैज्ञानिक नाम ब्रेसिका कप्रेस्टिस है। यह दि्वपत्तिय शाकीय एक फसली पौधा है। सरसों की पत्तियों का साग जाड़े की ऋतु में पंजाब में बहुत खाया जाता है। पंजाब में सरसों की सब्जी प्रसिद्ध है।
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कवियों ने सरसों के फूलों पर खूब गीत कविताएं लिखी हैं
आज फिर बरबस खिले हैं
फूल सरसों के।
याद आने लग गए हैं
दिन वे बरसों के।।
आप सरसों के फूल देखिए और अपने मोबाइल के कैमरे में इन्हें उतार कर अपने शुभचिंतकों को भेजिए।
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