मूर्धन्य साहित्यकार आचार्य एस.ए. सूर्यनारायण वर्मा का निधन
दक्षिण भारत के मूर्धन्य साहित्यकार व आंध्र विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी आचार्य एस.ए. सूर्यनारायण वर्मा का निधन शनिवार को निधन हो गया। गरिमामय व्यक्तित्व के धनी और कर्मठ आचार्य एस.ए. सूर्यनारायण वर्मा राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार एवं वृद्धि के लिए निरंतर तत्पर रहे। आचार्य एस. ए. सूर्यनारायण वर्मा पिछले साल मार्च में सेवानिवृत्त हुये। फेफड़ों की बीमारी के कारण आचार्य वर्मा (65) को गत मंगलवार से अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान शनिवार की सुबह एक बजे उन्होंने अंतिम सांस सांस ली। उनके परिवार में पत्नी झाँसी रानी और इकलौता बेटा श्रीकांत है। उनका अंतिम संस्कार उनके गाँव विजयनगरम में शनिवार दोपहर को सम्पन्न हुआ। 4 दशकों से अधिक आंध्र विश्वविद्यालय में आचार्य वर्मा ने अपने सेवाकाल में 5 यूजीसी शोध परियोजनाओं के संचालन के साथ 20 मौलिक तथा 10 अनुवाद ग्रंथों के साथ 400 से ज्यादा शोध लेखों को प्रकाशित किया। उनके शोध - निर्देशन में 52 शोधार्थियों को पीएच.डी. और 14 को एम. फिल. की उपाधि प्रदान की गई। साहित्यिक में योगदान के लिए अनेक राष्ट्रीय संस्थाओं ने वर्माजी को सम्मानित किया। 2015 में भारत के अत्यंत प्रतिष्ठित गंगा शरण सिंह पुरस्कार से राष्ट्रपति द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया। वे अपने विद्यार्थियों के प्रति सदा एक संरक्षक की भांति सचेत रहते थे। वे सदा यह मान कर चलते थे कि मानव संबंधों के सफल निर्वहन में और दूसरों की सहायता करने में जो आनंद प्राप्त होता है वह अमूल्य है। आचार्य वर्माजी के आकस्मिक निधन से उनके सब विद्यार्थी और हितैषी शोक में डूब गए हैं।
आचार्य एस.ए. सूर्यनारायण वर्मा बारे में विविध अखबारों के समाचार कतरन |