तिरंगा आन है मेरी, तिरंगा शान है मेरी,
तिरंगे की हिफाज़त में, यह क़ुर्बां जान है मेरी
तिरंगा आन है मेरी..…
पड़ा कोई विकट साया, न सोचा एक भी पल को
भूलकर राखी बहना की, माँ की ममता और दुल्हन को
रुके न पाँव बंधन से , बजी सीमा जो रणभेरी
तिरंगा आन है मेरी....
न झुकने दिया भारती भाल, झेली वक्ष पर गोली,
चटाई धूल, दुश्मन के इरादों की जली होली
रुकी जो साँस सरहद पर, बना यह ओढ़नी मेरी
तिरंगा आन है मेरी.....
अलविदा कह गए हम तो, देश को सौंप के हाथों में,
कर रहे तुम इसे छलनी, स्वार्थ की भीतर घातों से,
रचो इतिहास स्वर्णिम तुम, न हो जाए कहीं देरी
तिरंगा आन है मेरी.....
न भरता पेट पदकों से, न होता जीवन ही संपन्न,
करो ऐसा जतन कोई कि भूखा सोए ना बचपन,
विनत करता हूँ बस इतनी, न टूटे आस की ढेरी
तिरंगा आन है मेरी.....
नमन है ऐसे वीरों को, नमन है उनकी माँओं को
जिन्होंने कर दिया अर्पित, देश पर अपने जायों को
गर्वित आज है यह नभ, पूजित है धरा मेरी
तिरंगा आन है मेरी,तिरंगा शान है मेरी,
तिरंगे की हिफाज़त में, यह क़ुर्बां जान है मेरी
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