🦚🦚बाल कहानी 🦚🦚
🦚🦚 राजकुमार रतन और मोर 🦚🦚
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ऊंचे-ऊंचे पर्वतों से घिरा, रंग बिरंगे फूलों की गोद में बसा सुन्दरपुर नाम का एक छोटा सा राज्य था। जिसके राजा थे शमशेर सिंह। वह अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे। उनके सुख - दुख का सदैव ध्यान रखते थे। शमशेर सिंह की पत्नी रानी कादम्बरी भी बहुत दयालु थी। राजा और रानी की एक ही संतान थी राजकुमार रतन। जिसकी आयु तो 12 वर्ष थी। लेकिन, ज्ञान, साहस व पराक्रम मे वह बडों - बडों को भी मात देता था। इन सब गुणों के साथ उसमें एक ओर गुण विद्यमान था शरारत करने का गुण, जिसके कारण राजकुमार को सदैव पिता के गुस्से का सामना करना पडता। रानी कादम्बरी के पास एक बहुत सुंदर संदूक था, जो उन्हें उनकी दादी ने उपहार स्वरूप दिया था उस संदूक मे अनमोल हीरे - मोतियों से जडी, मोर के सुंदर पंखों की कढ़ाई व बुनाई से भरी एक जादुई शॉल थी शॉल को छूने के लिए एक मंत्र "ये आंसू है या मोती" बोला जाता था।
राजकुमार रतन उस संदूक को खोलने का अवसर ढूँढता रहता था क्योंकि रानी कादम्बरी ने रतन को संदूक के पास आने के लिए भी मना किया हुआ था। लेकिन, जब एक दिन राजा और रानी पडोस के राज्य में गये हुए थे तो, राजकुमार रतन को संदूक खोलने का अवसर मिल गया जैसे ही उसने संदूक खोला वह राजकुमार से मोर मे बदल गया क्योंकि उसने बिना मंत्र पढे जादुई शॉल को छू लिया था। महल में इतना सुंदर मोर देखकर सभी उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़े। मोर बना राजकुमार बहुत डर गया और डरकर जंगल में भाग गया। जब राजा - रानी लौट तो उन्हें सारी कहानी का पता चला रानी कादम्बरी सारी बात समझ गई। उनका रो रोकर बुरा हाल था। राजा ने वन - उपवन के सभी मोर देखे लेकिन, उनमें से कोई भी राजकुमार रतन नही था इस प्रकार राजकुमार की तलाश में छः महीने बीत गये लेकिन कही कुछ भी पता नहीं चला।
एक दिन गौरी नाम की 10 साल की बच्ची खेलते-खेलते रास्ता भूलकर जंगल में चली गई। जंगल में भटकते - भटकते उसे दोपहर से शाम हो गई। जब गौरी के माता-पिता शाम को अपने काम से घर लौटे तो, गौरी को घर में ना पाकर वह बहुत दुखी हुऐ उन्हें आस - पास के बच्चों से पता चला कि गौरी जंगल में खो गई। गौरी के माता-पिता रोते हुऐ राजा शमशेर सिंह के महल पहुंचे और अपनी बेटी को खोजने की प्रार्थना की। राजा ने अपने कुछ सिपाही उनके साथ जंगल में गौरी की खोज के लिए भेज दिये। इधर गौरी रोते-रोते थककर एक पेड़ के नीचे बैठ गई उसे बहुत डर लग रहा था। चारों ओर जंगली जानवरों की आवाजें गूंज रही थी। तभी गौरी को किसी के रोने की आवाज सुनाई दी उसने बडे ध्यान से देखा तो एक मोर पेड की टहनी पर बैठा रो रहा था। गौरी उठकर मोर के नजदीक गई। उसके आश्चर्य की सीमा नही रही जब उसने देखा कि मोर की आंखों से निकलने वाले आंसू जमीन पर गिरते ही मोती मे बदल रहे हैं। वह जमीन पर बैठी और एक मोती उठाकर बोली"ये आंसू है या मोती" फिर क्या था? गौर के इतना बोलते ही मोर, राजकुमार रतन मे बदल गया। यह देखकर गौरी को अचम्भा हुआ लेकिन, खुशी भी हुई क्योंकि उनका खोया राजकुमार वापिस मिल गया। गौरी के माता-पिता और राज सिपाही उसे तलाश करते हुए वहां पहुंच गए राजकुमार को सही सलामत पाकर सब महल पहुंचे। राजा - रानी के आनंद की सीमा न थी। राजकुमार रत्न ने अपने माता-पिता से क्षमा मांगते हुए भविष्य मे उनकी आज्ञा का अनादर न करने का वचन दिया। राजकुमार ने कहा - कि उन्हें उनकी शरारत का बहुत बडा मिल गया, उसने वचन दिया कि वह जीवन में कभी भी शरारत नही करेगा।
Rajkumar Ratan aur More Hindi Audio Story : Hindi Audio Stories
निधि "मानसिंह"
कैथल हरियाणा
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