संबंधों की अनूठी चाय
जिससे प्रेम प्रगाढ़ हो जाय
आओ प्रिय चलो चाय बनाएँ
घूँट-घूँट भर, रोज़ चुस्कियाँ लगाएँ
आओ प्रिय चलो चाय बनाएँ....
प्यार की आँच पर हाँडी हो मन की
विश्वास के पानी में पत्ती चितवन की
थोड़ी सी बतरस की शक्कर मिलाएँ
आओ प्रिय चलो चाय बनाएँ....
वफा के रंग से गहरी हो रंगत
अदरक-ए-नेह की उसमें हो संगत
समर्पण का दूध फिर उसमें मिलाएँ
आओ प्रिय चलो चाय बनाएँ....
अहं डाल कर धीरे-धीरे उबालें
लज्ज़त का मजा दुगना फिर पा लें
समानता की इलायची से इसे महकाएँ
आओ प्रिय चलो चाय बनाएँ.....
डॉ. मंजु रुस्तगी
हिंदी विभागाध्यक्ष(सेवानिवृत्त)
वलियाम्मल कॉलेज फॉर वीमेन
अन्नानगर ईस्ट, चेन्नई
9840695994
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