भक्ति, प्रकृति, सौन्दर्य, प्रेम (संयोग/वियोग), युवा, कर्मकार, शहीदों की शहादत, पर्यावरण, सामयिक समस्याओं जैसे प्रदूषण, कोरोना महामारी, दहेज, राजनीतिक समस्याओं; समाज में व्याप्त विषमताओं आदि समाज से जुड़े लगभग हर विषयों, को अपनी इस पुस्तक में, मैंने अपनी छंदबद्थ रचनाओं के माध्यम से, मात्रिक छंदो (दोहे, रोला, उल्लाला, कुंडलिया, छप्पय, सोरठा, विजात, चौपाई, शृंगार, बरवै, सुमेरु छंद, सिंधु, बिहारी, दिगपाल, गीतिका, विष्णुपद, शुद्ध गीता, विधाता, ताटंक, वीर, राधेश्यामी छंद) और वर्णिक छंदो {समानिका, प्रमाणिका, श्येनिका, भुजंगी, शालिनी, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, स्रिग्विणी, तोटक, वंशस्थ, द्रुतविलंबित, भुजंगप्रयातम, वसंततिलका, मालिनी, पंच चामर, मन्दाक्रांता, शिखरणी, शार्दूविक्रीडितम्, कनकमंजरी, सवैया (मदिरा, मत्तगयन्द,अरसात, किरीट, बाम, सुन्दरी) और घनाक्षरी (मनहरण, डमरू) को दो खंडों में व्यवस्थित कर कुल अपनी 100 रचनाओं को स्थान देकर, यथासंभव बौद्धिक और संवेदनात्मक संतुलन बनाए रखने का निरंतर प्रयास किया है।
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* मुक्तकों से सजा एक प्रबंधकाव्य: सुरबाला
* नई पुस्तक : अशोक श्रीवास्तव 'कुमुद' की सुरबाला (नवकिरण प्रकाशन से अति शीघ्र प्रकाशित)
* Kavya Path: वर्तमान सामाजिक हालात की पृष्ठभूमि पर काव्य पाठ