Teacher's Day 2024 Special Poetry : छात्र से शिक्षक का सफर - Niru Singh
"छात्र से शिक्षक का सफर"
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मेरा वो पहला दिन, डरी सहमी घबराई सी,
कल तक तो मैं ही थी विद्यार्थी !
आज शिक्षक बन कैसे संभालूँ इनको ?
कभी चॉक- डस्टर ले हमने भी किए मजे थें
आज मैं खुद ही डांट लगा रही
तोड़े थे कक्षा के हर नियम
और आज खुद ही नियम समझा रही !
पुरा ना होता जो होमवर्क,
बनाती थी बहाने बहुत
आज वही बहाने सुन रही,
सुनती न थी बात एक टीचर की
आज अपनी समझाने में लगी हूँ।
लगे रंग लाल जो रिपोर्ट कार्ड में
तो घर जाने से घबराती थी
आज वही रंग लगाने बैठी हूँ !
पतंग बन उड़ने का इरादा था
आज डोर थामें ख़डी हूँ
समय कैसा दौड़ा प्रश्नपत्र से,
आज चॉक डस्टर पकड़ा।
चंचल ख़्वाबों से.....
आज शांत भाव लिए बैठी हूँ।
बचपन बिता पगडंडियों पे,
आज भविष्य दिखाने बैठी हूँ
जब खुद न खोया था बचपन,
तो आज क्यों छीनने बैठी हूँ!
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