महिला दिवस पर कविता: प्रकृति और नारी

Dr. Mulla Adam Ali
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international women's day special poem

🌳प्रकृति और नारी 🚺

एक प्रकृति एक नारी दोनों

कर्तव्य के बोझ की मारी।


आंचल में आंसू लेकर,

सींचे रिश्तों की क्यारी।


एक हरा-भरा जीवन देती,

सांसों में प्राण भर देती।


बेटी, बहू माता बनकर

दूजी जीवन अर्पण कर देती।


कितना भी हो दुख चाहे?

कितना भी हो कठिन सफर?


कभी ना ये जीवन से हारी

एक प्रकृति एक नारी दोनों

कर्तव्य के बोझ की मारी।

 निधि "मानसिंह"

कैथल, हरियाणा

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