International Women's day Poetry: स्त्रियाँ कलाकार होती हैं

Dr. Mulla Adam Ali
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international women's day special poem in hindi

स्त्रियाँ कलाकार होती हैं

Womens Day Special Poem


अभ्यास अभिनय का, बचपन से सीख जाती हैं 

जब भाई की तुलना में कमतर करार दी जाती हैं  

महसूसती हैं, पर महसूस न कराती हैं 

स्त्रियाँ अदाकार होती हैं। 


रचतीं नया अध्याय, परिणय पश्चात

लिखतीं नए पृष्ठ, भूल अपने जज़्बात 

अपने शब्दों में सबको बाँध पाती हैं  

स्त्रियाँ कलमकार होती हैं। 


धारती हैं अपने अंदर एक सृष्टि 

संयमित व्यवहार रख, देतीं सम्यक दृष्टि 

अनगढ़ माटी को आकार में ढलाती हैं 

स्त्रियाँ सृजनकार होती हैं। 


कभी बन जातीं छत, कभी दीवार, 

कभी बनकर धरा, बनातीं नवागार 

संवेद्य रंगों से उसे फिर सजाती हैं 

स्त्रियाँ शिल्पकार होती हैं। 


सुर जो बिगड़ जाएँ, कभी समय के 

कस देती हैं, पहचान कर तार ढीले 

समय-सरगम को लययुक्त बनाती हैं 

स्त्रियाँ संगीतकार होती हैं। 


रिश्तों की जब भी सीमन लगे उधड़ने 

या खोंत लगने से, वो लगें उघड़ने 

सीलकर करीने से, पहले-सा बनाती हैं 

स्त्रियाँ रफ़ूकार होती हैं।  


स्त्रियाँ होती हैं, हर कला में माहिर 

करती नहीं अपने दुखों को जाहिर 

टीस छुपा अंतस में, बाहर मुस्कुराती हैं 

सच में स्त्रियाँ कलाकार होती हैं!

अंतरष्ट्रीय हिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

international women's day special poem
डॉ. मंजु रुस्तगी

हिंदी विभागाध्यक्ष(सेवानिवृत्त)
वलियाम्मल कॉलेज फॉर वीमेन
अन्नानगर ईस्ट, चेन्नई

9840695994

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