मैं नीर भरी दुख की बदली: महादेवी वर्मा की कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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मैं नीर भरी दुख की बदली - "आधुनिक मीरा" महादेवी वर्मा की कविता

मैं नीर भरी दुख की बदली! / महादेवी वर्मा

main neer bharee dukh kee badalee ! / mahaadevee varma

स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा

spandan mein chir nispand basa

क्रन्दन में आहत विश्व हँसा

krandan mein aahat vishv hansa

नयनों में दीपक से जलते,

nayanon mein deepak se jalate,

पलकों में निर्झारिणी मचली!

palakon mein nirjhaarinee machalee!

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मेरा पग-पग संगीत भरा

mera pag - pag sangeet bhara

श्वासों से स्वप्न-पराग झरा

shvaason se svapn - paraag jhara

नभ के नव रंग बुनते दुकूल

nabh ke nav rang bunate dukool

छाया में मलय-बयार पली।

chhaaya mein malay - bayaar palee.

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मैं क्षितिज-भृकुटि पर घिर धूमिल

main kshitij - bhrkuti par ghir dhoomil

चिन्ता का भार बनी अविरल

chinta ka bhaar banee aviral

रज-कण पर जल-कण हो बरसी,

raj - kan par jal - kan ho barasee,

नव जीवन-अंकुर बन निकली!

nav jeevan - ankur ban nikalee!

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पथ को न मलिन करता आना

path ko na malin karata aana

पथ-चिह्न न दे जाता जाना;

path - chihn na de jaata jaana;

सुधि मेरे आगन की जग में

sudhi mere aagan kee jag mein

सुख की सिहरन हो अन्त खिली!

sukh kee siharan ho ant khilee!

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विस्तृत नभ का कोई कोना

vistrt nabh ka koee kona

मेरा न कभी अपना होना,

mera na kabhee apana hona,

परिचय इतना, इतिहास यही-

parichay itana , itihaas yahee

उमड़ी कल थी, मिट आज चली!

umadee kal thee, mit aaj chalee!

ज्ञानपीठ पुरस्कार (gyaanapeeth puraskaar), पद्म भूषण (padm bhooshan), पद्म विभूषण (padm vibhooshan), साहित्य अकादमी फेलोशिप से सम्मानित, सुप्रसिद्ध लेखिका (saahity akaadamee pheloship se sammaanit suprasiddh lekhika), कवयित्री महादेवी वर्मा जी (kavayitree mahaadevee varma jee)

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