Holi 2024: होली पर कविता - होली इस विध खेलियो, मन-कलुष धुल जाए

Dr. Mulla Adam Ali
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 होली पर कविता

प्रेम सार संबंधो का, प्रेम विलक्षण भाव

प्रेम है पावन भावना, प्रेम समर्पण त्याग

सखी री.....

गयो माघ फागुन भयो, गली-गली ब्रज धाम

छोरी सब राधा भईं, और छोरे घनश्याम

सखी री.....

भंग चढ़े और चंग बजे,मन-मयूर मुसकाए

नई बाली की गंध से, हृदय-सुमन खिल जाए

सखी री.....

बरजोरी कान्हा करें, तन अबीर हुओ जाए,

पकड़े फिर छोड़े नहीं, लाज तनिक ना आए

सखी री.....

रंग दे ऐसे रंग में, मिट जाए पहचान

तू भी मोहन ना रहे, मैं बन जाऊँ श्याम

सखी री.....

होली इस विध खेलियो, मन-कलुष धुल जाए

प्रीत का रंग ऐसे चढ़े, इस रंग सब रंग जाए

सखी री.....

डॉ. मंजु रुस्तगी

हिंदी विभागाध्यक्ष(सेवानिवृत्त)
वलियाम्मल कॉलेज फॉर वीमेन
अन्नानगर ईस्ट, चेन्नई

9840695994

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