वर्तमान समय में राम की प्रासंगिकता
डॉ. मुल्ला आदम अली
राम (रामचंद्र), प्राचीन भारत में अवतरित भगवान है। हिंदू धर्म में राम, विष्णु के दस अवतारों में से सातवें अवतार हैं। राम का जीवन काल एवं पराक्रम, महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित, संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में लिखा गया है। उन पर तुलसीदास ने भी भक्ति काव्य श्री रामचरितमानस रचा था। खास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूजनीय है और हिंदूओं के आदर्श पुरुष है।
राम अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था (जो लक्ष्मी का अवतार थी) और राम के तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान, भगवान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। राम ने राक्षस जाति के लंका के राजा रावण का वध किया।
राम बचपन से ही शान्त स्वभाव के वीर पुरुष थे। उन्होंने मर्यादाओं को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया था। इसी कारण उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से जाना जाता है। राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहाँ तक की पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्में थे, जिसकी परंपरा प्राण जाए पर वचन ना जाए की थी। श्री राम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी कोई भी दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन (वर) दिया था। कैकेयी ने मन्थरा के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राज दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्श पत्नी का उदाहरण देते हुए पति के साथ वन जाना उचित समझा। सौतेले भाई लक्ष्मण ने भी भाई के साथ चौदह वर्ष वन में बिताएं। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरण पादुका खड़ाऊ ले आये। फिर इसे ही राज गद्दी पर रखकर राज काज किया। राम की पत्नी सीता को रावण अपहरण कर ले गया, राम ने उस समय की एक जनजाति वानर के लोगों की मदद से सीता माता को ढूंढा। समुद्र में पुल बनाकर रावण के साथ युद्ध किया। उसे मारकर सीता को वापस लाये। जंगल में राम को हनुमान जैसा दोस्त और भक्त मिला, जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराए। राम अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। राम न्याय प्रिय थे, बहुत अच्छा शासन किया इसलिए आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते है। इनके पुत्र लव और कुश ने इन राज्यों को संभाला। हिन्दू धर्म के कई त्योहार, जैसे दशहरा, रामनवमी और दीपावली राम की जीवन-कथा से जुड़े हुए हैं।
रामायण के सारे चरित्र धर्म का पालन करते हैं:
राम एक आदर्श पुत्र है। पिता की आज्ञा उनके लिए सर्वोपरि है। पति के रूप में राम ने सदैव एकपत्नीव्रत का पालन किया। राजा के रूप में प्रजा के हित के लिए स्वयं के हित को हेय समझते थे। विलक्षण व्यक्तित्व है उनका। वे अत्यंत वीर्यवान, तेजस्वी, विद्वान, धैर्य शाली, जितेन्द्रिय, बुद्धिमान, सुंदर, पराक्रमी, दुष्टों का दमन करने वाले, युद्ध एवं नीति कुशल, धर्मात्मा, मर्यादा पुरुषोत्तम, प्रजा वत्सल, शरणागत को शरण देनेवाले, सर्वशास्रों के ज्ञाता एवं प्रतिभा संपन्न है।
सीता का पातिव्रत महान है। सारे वैभव और ऐश्वर्य को ठुकरा कर वे पति के साथ वनवास चली गई।
रामायण भातृ-प्रेम का भी उत्कृष्ट उदाहरण हैं। जहाँ बड़े भाई के प्रेम के कारण लक्ष्मण उनके साथ वन चले जाते हैं, वही भरत अयोध्या की राज गद्दी पर बड़े भाई का अधिकार होने के कारण स्वयं न बैठकर राम की पादुका को प्रतिष्ठित कर देते हैं। कौशल्या एक आदर्श माता है, अपने पुत्र राम पर कैकेयी द्वारा किये गए अन्याय को भुलाकर वे कैकेयी के पुत्र भरत पर उतनी ही ममता रखती है जितनी कि अपने पुत्र पर।
हनुमान एक आदर्श भक्त है, वे राम की सेवा के लिए अनुचर के समान सदैव तत्पर रहते हैं। शक्ति बाण से मूर्छित लक्ष्मण को उनकी सेवा के कारण ही प्राणदान प्राप्त होता हैं। रावण के चरित्र से सीख मिलती है कि अहंकार नाश का कारण होता है।
रामायण के चरित्रों से सीख लेकर मानव ने अपने जीवन को सार्थक बना सकता हैं।
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