विश्व गौरैया दिवस पर एक बाल कविता: रूठ गई गौरैया

Dr. Mulla Adam Ali
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विश्व गौरैया दिवस पर एक बाल कविता

रूठ गई गौरैया

सुन ओ! मेरी प्यारी दादी

कहाँ गई गौरैया?

फुदक - फुदककर घर के अंदर,

चीं-चीं करती लगती सुंदर।

बारिश मे पंख छपककर,

नाचे ता-ता थैया।

कहाँ गई गौरैया?


कभी आंगन के पेड पर आती,

आकर अपना नीड़ बनाती।

चुन्नु हंसता, मुन्नु हंसता,

पकडने जाता छोटा भैय्या।

कहाँ गई गौरैया?


भारी मन से दादी बोली,

सुन ओ! राधा सुन ओ! मौली।

पेड कटे तो धरती सूखी,

वर्षा रूठी, जंगल सूखे।

रूठी प्यारी गौरैया।


सुन ओ! मेरी प्यारी दादी

कहाँ गई गौरैया?

nidhi maansingh ki kavita

निधि "मानसिंह"

कैथल, हरियाणा

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