Tradition of Ramakavya and Loknayak Tulsi: रामकाव्य की परंपरा व लोकनायक तुलसी

Dr. Mulla Adam Ali
0

रामकाव्य की परंपरा व लोकनायक तुलसी

डॉ. मुल्ला आदम अली

“भक्ति की स्वर्ण-भूधर पर मुखरित सत्साहित्य

युग-युग का कालुष्य मिटाना ही उनका उद्देश्य”

 साहित्य समाज का दर्पण है। कोई भी साहित्यकार से प्रभावित हो युग की मांग के अनुरूप ही साहित्य की रचना करता है। आदि काव्य वाल्मीकि रामायण से रामकाव्य परंपरा का आरंभ माना जाता है। रामकथा के ओज एवं माधुर्य को जनमानस की भावभूमी पर अधिष्ठित करते का श्रेय भक्तिकालीन कवियों को ही प्राप्त है।

  रामभक्ति का दृढ़ आधार रामानुजाचार्य ने प्रस्तुत किया। रामानुजाचार्य के पश्चात राघव नंद व उनके शिष्य रामानंद ने इस धारा को बल प्रदान किया। रामोपासना में रामानंद एक युग प्रवर्तक माने जाते हैं। रामानंद की वैष्णव परंपरा में तुलसी का आविर्भाव हुआ। स्वामी-अग्रदास, नाभदास, प्राणचंद चौहान, हृदयराम जी इस परंपरा के अन्य प्रमुख कवि रहे। द्विवेदी युग में रामभक्ति के क्षेत्र में एक नवीनधारा स्वच्छंद रूप से प्रवाहित होने लगी। साकेत में रामकथा को एक नई दिशा मिली। वाल्मीकि के रामकाव्य की मानवीयता गुप्त जी के विश्व बंदुत्व से मिलकर एक नवीन सृष्टि की ओर उन्मुख हुई है। उन्होंने उर्मिला और कैकेयी को भी मानवीय दृष्टि से देखा तथा राम सीता के मानवीय चरित्र को वर्तमान सामाजिक नीति के सिद्धांतों के आलोक में अंकित किया। हरिऔध जी ने वनवास में राम को नवत्व प्रदान कर रामचरित की घटनाओं को मानवीयता दृष्टि स देखने का प्रयास किया वैसी ही वनवास की सीता भी प्रजा की कल्याण कामना के लिए सजग है।

 रामकाव्य परंपरा में आदर्श रामराज्य की स्थापना करने का प्रयास गोस्वामी तुलसीदास जी ने किया। मध्यकालीन समाज गृह-कलह, अराजकता, असंतोष व्याप्त था, ऐसे तमसाछन्न समाज में तुलसी का आविर्भाव हुआ। भारत का सांस्कृतिक सूर्य डूब चुका था। मुसलमानों की पूर्णसत्ता स्थापित हो चुकी थी। भक्तिकालीन कवियों ने ‘संतन को कहा सीकरी सो काम’ कहकर राजसी वैभव को ठुकराया, इन्होंने धर्म की नई व्याख्या समाज के सामने रखकर उस तमसाछन्न समाज को नए आलोक से आलोकित करने का प्रयास तुलसीदास ने किया। रामचरितमानस में तुलसी ने रामराज्य का आदर्श स्थापित कर धर्म की उदात्त परिभाषा प्रस्तुत की-

“दैहिक दैविक,भौतिक तापा, रामराज्य (ram rajya) नहि काहुहि व्यापा”

 सब नर (nar) करहि, परस्पर प्रीति, चलहि स्वधर्म निरत श्रुति नीति”

 आज धर्म की परिभाषा संकुचित हुई है। मानव के मध्य प्रेमभाव नष्ट हो रहा है। तुलसी ने रामचरितमानस के उत्तरकांड में रामराज्य के साथ कलियुग का जो चित्र प्रस्तुत किया है वह आज भी यथार्थ है-

“वेद (ved), धर्म (dharm), दूरी गए भूमिचोर भूप भए, साधु(Sadhu) सिधमान जान रीति पापीन की”

 तुलसी समाज के एक सजग प्रहरी थे। प्राणी मात्र का कल्याण उनका मुख्य उद्देश्य था। तुलसी के राम धीर गम्भीर है।

 राम (रामचंद्र), प्राचीन भारत में अवतरित भगवान है। हिंदू धर्म में राम, विष्णु के दस अवतारों में से सातवें अवतार हैं। राम का जीवन काल एवं पराक्रम, महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित, संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में लिखा गया है। उन पर तुलसीदास (Tulsidas) ने भी भक्ति काव्य श्री रामचरितमानस (Ramcharitmanas) रचा था। खास तौर पर उत्तर भारत में राम (Ram) बहुत अधिक पूजनीय है और हिंदूओं के आदर्श पुरुष है।

 राम बचपन से ही शान्त स्वभाव के वीर पुरुष थे। उन्होंने मर्यादाओं को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया था। इसी कारण उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से जाना जाता है। राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहाँ तक की पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्में थे, जिसकी परंपरा प्राण जाए पर वचन ना जाए की थी। श्री राम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी कोई भी दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन (वर) दिया था। कैकेयी ने मन्थरा के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राज दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्श पत्नी का उदाहरण देते हुए पति के साथ वन जाना उचित समझा। सौतेले भाई लक्ष्मण ने भी भाई के साथ चौदह वर्ष वन में बिताएं। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरण पादुका खड़ाऊ ले आये। फिर इसे ही राज गद्दी पर रखकर राज काज किया। राम की पत्नी सीता को रावण अपहरण कर ले गया, राम ने उस समय की एक जनजाति वानर के लोगों की मदद से सीता माता को ढूंढा। समुद्र में पुल बनाकर रावण के साथ युद्ध किया। उसे मारकर सीता को वापस लाये। जंगल में राम को हनुमान जैसा दोस्त और भक्त मिला, जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराए। राम अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। राम न्याय प्रिय थे, बहुत अच्छा शासन किया इसलिए आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते है। इनके पुत्र लव और कुश ने इन राज्यों को संभाला। हिन्दू धर्म के कई त्योहार, जैसे दशहरा, रामनवमी और दीपावली राम की जीवन-कथा से जुड़े हुए हैं।

  तुलसी भारतीय साहित्य में अपने ढंग के पहले और आखिरी कवि है। तुलसी के साथ हिंदु समाज में जिस रामकाव्य-परंपरा का आरंभ हुआ, वह और कोई कवि नही कर सका; आगे भी आशा निराधार होगी इस हिमालय के नीचें पहाडियाँ-टोले बहुत हुए, लेकिन हिमालय एक था और एक ही रहेगा।

ये भी पढ़ें;

* वर्तमान समय में राम की प्रासंगिकता

* Life Lessons from Ramayana: आंध्र तथा हिंदी साहित्यों में रामायण और जीवन मूल्य

* भारतीय भाषाओं में राम साहित्य की प्रासंगिकता : लोकतंत्र का संदर्भ

* तुलसी साहित्य में प्रकृति सौंदर्य: पूनम सिंह

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top