डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती 2025 पर विशेष कविता : संतापों का दौर - प्रो. नामदेव

Dr. Mulla Adam Ali
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poem on baba saheb ambedkar

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती 2025 पर विशेष कविता : संतापों का दौर - प्रो. नामदेव

दलित अस्मिता के प्रस्तोता, मानवीय अधिकारों के शिल्पकार, राष्ट्र निर्माता, युग पुरूष महामहिम बाबासाहेब डाॅ.भीमराव अम्बेडकर जी के जन्मोत्सव पर उन्हें कोटि-कोटि अभिवादन।

संतापों का दौर 

भोग रहे थे

जब हम 

सदियों का संताप 

चहुंओर मचा था 

हाहाकार 

कहीं रोदन 

कहीं चित्कार 

कहीं गाली 

कहीं मार 

कहीं चीरहरण 

कहीं अपमान ,

कसूर था इतना 

थे हम पंचम वर्ण, 

तब घंटा -घंटे -घंटी 

पत्थर -माटी - कागज़ 

के रंग-बिरंगे 

ईश्वर ईश्वरियां 

तपे हुए तपस्वी 

ईश्वर दूत - दूतियां 

भव्य ईश्वरीय किताबें 

सब थे 

सब मौन थे 

न्याय की बातें 

तब थीं नहीं 

थी भी तो हम उसमें थे नहीं 

फिर दास को हक कहां 

न्याय की,

अस्तित्व हमारा 

स्वाभिमान हमारा 

कहीं था गायब,

संस्कृति के समंदर में 

घृणित कीड़े थे,

न अभिमान 

न स्वाभिमान 

न सम्मान 

न सम्पत्ति 

न शिक्षा 

न शस्त्र 

थे निहत्थे हम,

नियति हमारी प्राकृतिक 

नहीं थी 

घंटे -घंटी- घड़ियालों 

की संस्कारों 

ने किया था निर्मित ,

संतापों के उस दौर में 

आए तुम,

पंचम वर्णी जन 

को जीने का

हक दिला गए,

नफरतों के दौर में 

समता- प्रेम-बंधुत्व-करूणा 

के थे तुम 

दूत या मसीहा 

बाबा भीम

तुम कहलाए

prof. namdev poetry in hindi

प्रो. नामदेव

प्रोफेसर, किरोड़ीमल कॉलेज
दिल्ली

बाबा साहेब की 134वीं जयंती पर कोटि कोटि नमन।

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