🤹🤸बच्चों की मजेदार बाल कविता🤸🤽♀️
🌞☀️ गर्मी / दीनदयाल शर्मा ☀️🌞
मई-जून में पड़ती गर्मी
सूरज दादा होता लाल
इतनी तेज होती यह गर्मी
सारे हो जाते बेहाल ।
लूएं चलती आंधी चलती
गरम हवा ना हमें सुहाती
बिजली बार-बार चली जाती
हमको गर्मी बहुत सताती ।
देह पर हो जाती है घमोरी
चम-चम-चम-चम खाती है
पसीने से कपड़े भर जाते
धड़कन भी बढ़ जाती है।
ककड़ी और मतीरे खाएं
छाछ राबड़ी रोज पिएं
संतोषी हैं हम सब बच्चे
सीधा सरल जीवन जिएं।
ठंडी-ठंडी चीजें खाएं
जी सबका ललचाते हैं
बादल भी तो नहीं बरसते
वे भी तो तरसाते हैं ।।
दीनदयाल शर्मा
प्रमुख बाल साहित्यकार
हनुमानगढ़ जं., 335512, राजस्थान
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