रामनवमी कविता : रघुपति राघव रघुराई

Dr. Mulla Adam Ali
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ramnavami poems

रघुपति राघव रघुराई


राम सनातन, राम संस्कृति

रघुपति राघव रघुराई

राम नाम की धुन लागे तो

मनुज पे विपदा कभी न आई


बाल्यकाल में गुरु कृपा से

मुक्त किया असुरों से कानन

खा कर झूठे बेर शबरी के

बने समाज में एक उदाहरण

त्रिमाता के राज दुलारे, सूर्यवंश की परछाई

राम.....

पाहन में भी फूँके प्राण और

केवट को भी तार दिया

पितृ वचन का पालन करने

राजसुखों को वार दिया

लखन तुम्हारे साथ चले और सती जानकी माई

राम.....

त्याग, समर्पण, प्रेम, भक्ति के

राम आस्था के प्रतिमान

राम को जिसने स्वयं में ढाला

जग में हुआ उसका सम्मान

बाल न बांका कर पाए कोई, रघुवर जिसके सहाई

राम....

मन में राम है, मन में रावण

मन में देवासुर संग्राम

पोषित कर लो अपने राम को

हो पुनीत तव लौकिक धाम

भवसागर से तर जाओगे, राम लगन जो लगाई

राम....

सारे संबंधों के आदर्श

तुमसे हुए स्थापित

लख भ्रातृ प्रेम और सखा प्रेम

हुए जीवन भी मर्यादित

छूटे स्वारथ, भूले द्वेष सब, तज दी स्व कटुताई

राम...

कटे चक्र यह आवागमन का,

सुमिरो जो तुम दिल से राम

राम नाम ही हर दुख तारे

मोक्ष का दूजा नाम है राम

छूटे सारे मिथ्या पाश जो चरणन प्रीत लगाई

राम.......


डॉ. मंजु रुस्तगी

हिंदी विभागाध्यक्ष(सेवानिवृत्त)
वलियाम्मल कॉलेज फॉर वीमेन
अन्नानगर ईस्ट, चेन्नई

आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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