👩💼 ऐना की बहादुरी 👩💼
मानसी शर्मा
पापाजी की लाडली बेटी ऐना। ऐना के लिए किसी भी चीज की कमी नहीं। फ्रॉक, जीन्स, जूते, चप्पलें बेशुमार। गोरे रंग की ऐना अब नौ वर्ष की हो गई। बातों में ऐना का कोई जवाब नहीं। बात-बात में बात। जब बोलने लगे तो चुप होने का नाम ही न ले। और किसी चीज को लेने की जिद कर ले तो उसे पूरी करके ही सांस ले। यदि ऐना की मांग पूरी नहीं हो तो बस नाराज होकर बैठ जाएगी और फिर रोना-धोना शुरू। चुप होने का नाम ही न ले।
ऐना अब चौथी कक्षा में आ गई। उसे इस कक्षा से एक नये स्कूल में लगा दिया गया। अपने नये स्कूल में वह रोजाना बस में बैठकर आती। ऐना का स्कूल बैग भी सबसे अलग। कक्षा में और बस में सारे बच्चे उसके बैग को हाथ लगा-लगा कर देखते। पढऩे-लिखने में भी ऐना बहुत होशियार। उसकी इसी होशियारी के कारण हैड सर ने उसे कक्षा का मॉनिटर बना दिया।
एक दिन स्कूल का समय हो गया। बस आने वाली थी। पर ऐना बोली, ‘मम्मी, मैं आज स्कूल नहीं जाऊंगी।’
मम्मी बोली, ‘क्यों, क्या हुआ? होम वर्क पूरा नहीं किया हुआ है क्या?’
‘होम वर्क तो मैंने स्कूल में ही पूरा कर लिया था।’ ऐना बोली।
‘फिर? स्कूल क्यों नहीं जाती?’ मम्मी ने पूछा।
‘बस ऐसे ही।’ ऐना बोली।
‘स्कूल जाना है। बहाने मत बना।’
‘मैंने कह दिया न कि मैं स्कूल नहीं जाती तो बस नहीं जाती।’ ऐना जिद करती सी बोली।
‘तुम्हारे कहने से क्या होता है। स्कूल तो जाना ही है।’
‘नहीं जाती। नहीं जाती। नहीं जाती।’ कहती हुई ऐना घर की छत पर चली गई।
‘छोरी, छत से नीचे आ जा और नहा ले, बस आने वाली है।’ ऐना की मम्मी बोली।
‘बस आती है तो आने दो। मैंने कह दिया न कि मैं आज स्कूल नहीं जाती।’
‘नीचे आती है या नहीं! तेरे पापा से बोलूं क्या?’
‘बोल दे। मैं नहीं डरती पापाजी से।’ ऐना कुछ जोर से ही बोली।
‘अरे, सुनती हो। ऐना स्कूल नहीं जाती है मत जाने दो। एक दिन में कोई पहाड़ नहीं टूट जाएगा।’ अखबार पढ़ते-पढ़ते ऐना के पापाजी ने कहा।
‘आपने ही तो इसे सिर पर चढ़ा रखा है। एक-दो थप्पड़ लगाए होते तो भागी-भागी जाती स्कूल।’ ऐना की मम्मी नाराज होती हुई बोली।
तभी बस के हॉर्न की आवाज सुनाई दी-पौं-पौं। कुछ ही देर में ऐना की बस आ गई। पर ऐना ने बस के हॉर्न को अनसुना कर दिया और वह छत पर ही रही।
‘ऐना!’ आवाज देती हुई ऐना की मम्मी छत पर आ गई। उसने इधर-उधर देखा। ‘कहां हो ऐना? ऐ छोरी।’ उसकी मम्मी ने देखा कि ऐना वाशिंग मशीन के पीछे छिपी हुई बैठी है।
ऐना की मम्मी उसका हाथ पकड?र बोली, ‘नीचे चल। तेरी बस निकल गई लगती है। तुम्हारे पापाजी से कहती हूं। वे तुम्हें बाइक पर छोड़ आएंगे स्कूल।’
‘मम्मी, मैंने कह दिया न कि मैं स्कूल नहीं जाती। नहीं जाती। नहीं जाती।’ ऐना रोते-रोते जिद करती हुई बोली।
‘अरे, तूं ऐना के बराबर हो गई क्या। नहीं जाती है तो ना जाने दे। मेरी आज सैकण्ड सैचरडे की छुट्टी भी है। मैं आज ऐना के साथ बात करूंगा खूब सारी।’ ऐना के पापाजी ने कहा।
‘कर लो बातें। बातों से पेट नहीं भरता। छोरी की जात है, इसे सिर पर चढ़ाना अच्छी बात नहीं है। कभी इसकी शिकायत आ गई तो मुझे बुरा मत बताना।’ ऐना की मम्मी गुस्से से बोलती हुई रसोई में चली गई।
‘ऐना बेटा!’ ऐना के पापाजी ने ऐना को आवाज दी। उन्होंने देखा कि ऐना चादर ओढ़ कर सो रही है। ‘ऐना बेटा, नींद आ गई क्या?’ ऐना के पापाजी ने बहुत ही प्यार से पूछा।
‘मैं स्कूल नहीं जाऊंगी पापाजी।’ ऐना बोली।
‘कोई बात नहीं। स्कूल मत जा। पर मुझसे बात तो कर।’ ऐना के पापाजी ने उसकी चादर हटाकर मुस्कुराते हुए कहा। ‘पहले तो मुझे यह बता कि तूं आज स्कूल क्यों नहीं जा रही है बेटा?’ ऐना के पापाजी ने बहुत प्यार से पूछा।
‘बस ऐसे ही।’ ऐना आँखें झुकाते हुए बोली।
‘नां, ऐसे ही तो नहीं। कोई बात तो है पर तूं मुझे बता नहीं रही है। बता, क्या बात है ऐना बेटा?’ ऐना के पापाजी ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए पूछा।
‘कोई बात नहीं पापाजी।’ ऐना बोली।
‘नहीं, कोई बात तो है। बता बेटा, क्या बात है। मुझसे कोई बात छिपा तो नहीं रहा है ऐना बेटा। मुझे लगता है कोई सरजी तुझे स्कूल में पीटते हैं?’
‘पीटते तो कोई नहीं है पापाजी।’
‘तो बेटा, कोई बात तो है। और तूं मुझे बता नहीं रही है।’ ऐना के पापाजी ने प्यार करते हुए उसे फिर से पूछा।
ऐना डरती-डरती सी बोली, ‘हमारे अंग्रेजी वाले सरजी है नां।’
‘वे मारते हैं तुझे?’
‘गंदी-गंदी बातें करते हैं पापाजी।’ ऐना इधर-उधर देखती हुई डरती सी बोली।
‘क्या कहते हैं वे सरजी?’
‘वे कहते हैं कि किसी को बता दिया तो जान से मार दूंगा। पापाजी, मैं इस स्कूल में अब कभी नहीं पढ़ूंगी। मुझे किसी दूसरे स्कूल में लगा दो पापाजी। मुझे उन सरजी का बहुत डर लगता है पापाजी।’ ऐना घबराती हुई सी बोली।
‘तुझे दूसरे स्कूल में लगा देंगे। तूं डर मत बेटा। तूं चिंता मत कर। पर मुझे बता तो सही कि अंग्रेजी वाले सरजी ऐसी क्या गंदी-गंदी बातें करते हैं?’
‘वे सभी लड़कियों के साथ गंदी-गंदी बातें करते हैं पापाजी।’
‘तूने मुझे पहले तो नहीं बताया ऐना बेटा?’
‘पहले मैं बहुत डर गई थी पापाजी।’
‘डर नां ऐना बेटा। मैं हूं नां। तुझे डरने की कोई जरूरत नहीं है ऐना बेटा। मैं चाहता हूं कि तेरे अंग्रेजी वाले सरजी को हम रंगे हाथों पकड़ें।’
‘रंगे हाथों कैसे पापाजी?’ ऐना ने पूछा।
‘मैं चाहता हूं कि तेरे सरजी को गंदी हरकतें करते हुए मौके पर पकड़वाएं। इस काम में तुम मेरी मदद कर सकती हो बेटा।’
‘मैं आपकी मदद कैसे कर सकती हूं पापाजी। मैं तो अभी बहुत ही छोटी हूं। मैं तो अभी नौ वर्ष की तो हुई हूं।’ ऐना उदास होकर बोली।
‘तूं मदद कर सकती हो ऐना बेटा।’
‘पर मैं आपकी मदद कैसे कर सकती हूं पापाजी। मुझे बताओ तो सही।’ ऐना झुंझलाती सी बोली।
‘तेरे बालों की क्लिप में मैं एक छोटा सा कैमरा लगा दूंगा। इस कैमरे से तुम्हारी कक्षा की सभी चीजें यहां अपने आप अपने लेपटॉप में आ जाएगी।’
‘तो मैं जासूस बनूंगी पापाजी।’ ऐना दबी आवाज में बोली।
‘हां बेटा, तूं गंदी हरकत करने वाले अंग्रेजी के इस सरजी का पकड़वा सकती हो। इसमें सभी लड़कियों का भला होगा। तूं हिम्मत कर ऐना बेटा। मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है।’
‘जरूर पापाजी।’ ऐना खुश होकर बोली।
‘पापा-बेटी क्या बातें कर रहे हो! बहुत खुश हो रहे हो दोनों। लो अपना मोबाइल संभालो। आपका फोन आया है।’ मोबाइल पकड़ाते हुए ऐना की मम्मी बोली।
‘जी सर! मैं ऐना का पापा बोल रहा हूं। ऐना कल जरूर आ जाएगी सर। जी सर। ओके सर।’
‘मेरे स्कूल से फोन आया है पापाजी?’ ऐना ने पूछा।
‘हां बेटा, तुम्हारे हैड सर का फोन आया है। कह रहे थे कि ऐना को कल जरूर भिजवा देना।’
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ऐना अगले दिन बस आने से बहुत पहले ही तैयार हो गई। स्कीम के मुताबिक ऐना के बालों की क्लिप में उसके पापाजी ने एक बहुत ही छोटा सा कैमरा लगा दिया था। स्कूल जाते वक्त आज ऐना को खुश देखकर उसकी मम्मी बोली, ‘ऐना बेटा, तेरे पापाजी ने ऐसा क्या दे दिया तुझे? आज तो बहुत खुश होकर जा रही हो स्कूल।’
तभी पौं-पौं करती हुई ऐना की बस आ गई। ऐना भाग कर उसमें चढ़ गई।
ऐना के स्कूल में पांचवें पीरियड में आज पुलिस आई हुई थी। पास-पड़ोस के बहुत सारे लोग खड़े थे। सभी के मुंह पर आश्चर्य झलक रहा था। सभी लोगों ने देखा कि अंग्रेजी वाले सरजी को पुलिस जीप में बिठा कर ले गई। बात का किसी को भी पता नहीं। स्कूल के हैड सर, स्कूल का पूरा स्टाफ और सब बच्चे हक्के-बक्के खड़े थे।
दूसरे दिन अखबारों में छपे समाचारों से लोगों को पता चला कि अंग्रेजी वाले सरजी लड़कियों के साथ गंदी हरकतें करते थे।
कोर्ट में बच्चों के बयान और सबूतों के कारण अंग्रेजी वाले सरजी को जज साहब ने दस साल की सजा सुनाते हुए ऐना की बहादुरी की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
कुछ दिनों के बाद दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में ऐना को ‘राष्ट्रीय बाल वीर पुरस्कार’ की सूची में शामिल करते हुए सम्मानित किया गया।
(मानसी शर्मा की हिंदी में अनुवाद राजस्थानी बाल कहानी)
© मानसी शर्मा
नाम : मानसी शर्मा
जन्म तिथि : 12 अगस्त, 1999
जन्म स्थान : हनुमानगढ़- 335512, राजस्थान
शिक्षा : एम.ए., (अंग्रेजी साहित्य) अंतिम वर्ष में अध्ययनरत।
कृतियां : च्युइंग गम (राजस्थानी बाल कहानियां), प्रेम, प्यार अर प्रीत (राजस्थानी कविता संग्रह) लिछमी री कदर, और कियां बणै इन्दर धनख
जीवन परिचय : हिन्दी-राजस्थानी में समान रूप से लेखन। माणक, जागती जोत, रूड़ौ राजस्थान, दैनिक युगपक्ष, टाबर टोली, दैनिक तेज, कलासन दिनकर आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर राजस्थानी रचनाएं प्रकाशित। कथारंग, कुछ अनकही बातें, देख लो जग सारा, साहित्य बीकानेर आदि संकलनों में हिन्दी रचनाएं प्रकाशित।
पुरस्कार एवं सम्मान:
* जिला स्तरीय डान्स प्रतियोगिता में जूनियर वर्ग में प्रथम स्थान पर पुरस्कृत (2010),
* रयान कॉलेज फोर हायर एजुकेशन, 4जेडीडब्ल्यु, हनुमानगढ़ की ओर से आयोजित वार्षिक समारोह में नाटक ‘मंगल पाण्डे’ और ‘फादर एक्ट’ में लीड रोल पर प्रथम और द्वितीय पुरस्कार पर सम्मान (2017),
* माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान री ओर सूं गार्गी पुरस्कार (2018),
* यात्रा वृत्तांत राष्ट्रीय प्रतियोगिता में टॉप टेन में ‘मेरी उज्जैन यात्रा’ श्रेष्ठ यात्रा वृत्तांत के लिए पुरस्कृत। (2018),
* राष्ट्रीय कवि चौपाल और राजस्थानी भाषा पोषण मंच की ओर से सार्वजनिक सम्मान। (2019),
* रयान कॉलेज फोर हायर एजुकेशन, 4जेडीडब्ल्यु, हनुमानगढ़ की ओर से आयोजित वार्षिक समारोह में नाटक ‘आर्मी एक्ट’ और ‘ह्युमन एक्ट’ में लीड रोल पर प्रथम और द्वितीय पुरस्कार पर सम्मान (2019),
* समग्र सेवा संस्थान, सिरसा, हरियाणा की ओर से साहित्यिक सेवाओं के लिए सार्वजनिक सम्मान। (2020),
* यंग इंडिया ऑरगनाईजेसन, सिरसा, हरियाणा की ओर से सार्वजनिक सम्मान। (2020),
* रयान कॉलेज फोर हायर एजुकेशन, 4जेडीडब्ल्यु, हनुमानगढ़ की ओर से आयोजित वार्षिक समारोह में साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सार्वजनिक सम्मान। (2020)
पता : मानसी शर्मा,
हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, टाबर टोल़ी वाली गली, हनुमानगढ़, जं.-335512, राजस्थान।
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