बाल कविता
परियों का देश
दादी मेरी, प्यारी दादी
मुझकों कहानी खूब सुनाती ।
पंख लगाकर सपनों के
परियों का देश दिखाती।
पहुंच गई में परी देश में,
कितना खुश होकर इतराती?
देखा वहां सुख ही सुख
दुख की तो छाया ना आती ।
लाल, नीली, पीली परियां,
तितली बनकर उड जाती।
चांदी जैसे पंख पसारे
परियों की रानी है आती।
भेदभाव को त्यागकर
करूणा का पाठ सिखाती।
सारी रात, परियों के साथ
मै उडती - फिरती नाचती गाती।
हुआ सवेरा मां कहे उठ जा
परियां हाथ छोड़ उड जाती।
दादी मेरी प्यारी दादी,
मुझकों कहानी खूब सुनाती ।
निधि "मानसिंह"
कैथल हरियाणा
nidhisinghiitr@gmail.com
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