🌻प्रकृति की गोद में 🌻
आओ हम लौट चलें प्रकृति की गोद में।
उसी घने जंगल में चलें ।
जहाँ चंदन, साखू, सागौन, शीशम, पलास हो।
जहाँ वृक्षों की हरियाली हो।
आओ हम सैर करें उस जंगल की।
जहाँ, महुआ, नीम, अशोक, हरसिंगार हो।
जहाँ पीपल, बरगद की छाँव हो।
आओ हम लौट चलें प्रकृति की गोद में।
जहाँ कल-कल करती नदियाँ हों।
जहाँ चहुं ओर वनों की छाँव हो।
जहाँ मीठे-मीठे फलों की भरमार हो ।
जहाँ फलों का राजा आम हो।
जहाँ काली रसभरी जामुन का दीदार हो।
जहाँ वृक्षों पर कलरव करती चिड़िया हो।
जहाँ कोयल की कूक, कौवा की काव, काव हो।
जहाँ बागों मे भंवरों की गुंजार हो।
जहाँ वनों में बिजली सी सिंह की दहाड़ हो।
जहाँ मचाते बंदर उत्पात हो।
आओ ---------///
आओ हम उस धरा को सजाएँ ।
उपवन में सुंदर-सुंदर फूल लगाएँ।
फूलों की खुश्बू से जहां को महकाएं।
आओ हम प्रकृति को बचायें।
फिर से दुनिया को प्रदूषण मुक्त बनाएं।
आओ हम सब मिल कर वृक्ष लगाएँ।
आओ हम लौट चलें प्रकृति की गोद में।
जमुआ, देवघाट, कोरांव,
प्रयागराज, उ. प्र. 212306
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