🤱माँ 🤱
दुनिया ने मेरे प्यार –
ममत्व और समर्पण को देखा और
मुझे ईश्वर के समतुल्य कहा
पर मैं ईश्वर नहीं थी
मैं इंसान थी
मैं ईश्वर होकर इंसानों से अलग होना नहीं चाहती
क्योंकि ईश्वर सबके साथ रहता है
पर ईश्वर के साथ कोई नहीं
ईश्वर की समतुल्यता ने
मुझे इंसानों की दुनिया से परे कर दिया
मैं अपने लिए बने प्यार , ध्यान और समय से वंचित हो गई
अब भला ईश्वर शिकायत कैसे और किससे करें ?
नौशीन अफशा
एम.ए., बीएड., हिंदी
दिल्ली
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