बच्चों के लिए रचना : लालबुझक्कड़ - अशोक श्रीवास्तव कुमुद

Dr. Mulla Adam Ali
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ashok srivastava kumud ki kavita

बच्चों के लिए रचना

🧔 लालबुझक्कड़ 🧔

लालबुझक्कड़ बहुत भुलक्कड़ 

संग घूमते बाबा झक्कड़

दल में सारे लक्कड़ धक्कड़ 

बैठे रहते नुक्कड़ नुक्कड़ 


लालबुझक्कड़ काम काज ना

बड़े आलसी जल्दबाज ना

बिना रीढ़ के अकड़बाज ना

ना हामी ना ऐतराज ना


नहीं ज्ञान पर लगते ज्ञानी 

खाक जहाँ की सारी छानी

बहस नहीं, करते मनमानी 

वही सही जो मन में ठानी 


ज्ञान बांटते लालबुझक्कड़

हर चौराहे नुक्कड़ नुक्कड़ 

भेजा खाली बिल्कुल फक्कड़ 

चाय चले चुक्कड़ पर चुक्कड़


बैठ फालतू गप्प मारना 

खाली पीली टल्ले मारना

बच्चों तुम ऐसा ना करना

लालबुझक्कड़ कभी न बनना 

ashok srivastava kumud poetry

अशोक श्रीवास्तव 'कुमुद'

राजरूपपुर, प्रयागराज

लालबुझक्कड़: ऐसा मूर्ख व्यक्ति जो वास्तव में जानता तो कुछ भी न हो, फिर भी अटकल-पच्चू और ऊट पटांग अनुमान लगाकर दुरूह बातों का कारण तथा समस्याओं का समा धान करने में न चूकता हो।

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