बच्चों के लिए रचना
🌧️ आई बरखा ☔
आई आई बरखा रानी
लायी आंधी बादल पानी
गरज चमक इठलाकर बरखा
धरा डुबोने की मन ठानी
वर्षा जल जब कल कल बहता
सड़क बगीचा डूबा रहता
बच्चे झूमें देख देख कर
नन्हा मनवा खिल खिल करता
चुन्नू मुन्नू नाव बनाएं
बहते पानी में तैराएं
रहे बेखबर बचपन तैरे
नाच नाच हुड़दंग मचाएं
बहती नाव उलट जब जाये
सीधा करने चुन्नू आये
वर्षा जल में भीगे चुन्नू
भीग भीग चुन्नू मुस्काये
बूढ़े दादा जी घबरायें
मना करें चीखें चिल्लायें
आये समझ नहीं बच्चों को
बार बार भीगें मुस्कायें
अशोक श्रीवास्तव 'कुमुद'
राजरूपपुर, प्रयागराज
बरखा: वर्षा, बरसात
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