ईश्वरीय प्रेम पर आधारित अशोक श्रीवास्तव "कुमुद" की नई रचना
💗 आस मिलन 💗
विरह में, बीतत नहि दिन रात
सखी क्यों, आस मिलन ना जात
नैन बावरे मन बावरिया,
राह देखती खड़ी अटरिया,
भूल पाय ना छवि मोहनिया
सुधि न लेते कभी साँवरिया
प्रेम सजन बन फाँस हिया में,
करै बहुत ये घात
सखी क्यों, आस मिलन ना जात
पिया परदेश नजर न आवै
राह कँटीली मोह न भावै
जगत शत्रु सम राह भुलावै,
भाँति भाँति के भ्रम उलझावै
छाय अँधेरा मन उलझन में,
होत न कबहुँ प्रभात
सखी क्यों, आस मिलन ना जात
ना पाती संदेश भिजायी,
झूठ बात सब मन पतियायी
तरस तड़प में उमर गँवायी,
सजन न आये बहुत बुलायी,
जतन क्या करूं अश्रु नयन में,
रोत हृदय पछतात,
सखी क्यों, आस मिलन ना जात।
अशोक श्रीवास्तव "कुमुद"
राजरूपपुर, प्रयागराज
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