🧸भोलू भालू 🧸
भोलू भालू था शैतान
लापरवाही बसती जान
चिल्ला चिल्ला फाड़े कान
नित करता माँ को परेशान
घर की बनी न खाये चीज
जंकफूड था बहुत अजीज
मम्मी उसकी जाती खीज
खोता आपा भूल तमीज
घर से जाये ना स्कूल
नहीं पढ़े सब जाये भूल
काम करे सब ऊलजलूल
माने न वो कोई उसूल
भेजा उसको छात्रावास
कठिन नियम आये ना रास
तय आहार समय था खास
देर अगर तो हो उपवास
स्कूल व्यवस्था सब माकूल
अनुशासन पालन था रूल
समय प्रबंधन सभी कबूल
भोलू के पर सब प्रतिकूल
रोज उपस्थिति भोलू शूल
हिला दिया भोलू की चूल
फाइन लगता करें वसूल
भूल गये सब भोलू हूल
माँ की याद सताती रोज
ढूंढे भोलू घर सा भोज
भरा हुआ दिल मन में सोज
उड़ गया चेहरे का ओज
बच्चों हित अपना पहचान
नहीं करो सबको परेशान
पौष्टिक खाओ हो बलवान
समय प्रबंध प्रगति की जान
अशोक श्रीवास्तव "कुमुद"
राजरूपपुर, प्रयागराज (इलाहाबाद)
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