बच्चों के लिए रचना
🐒 शैतान बंदर 🐒
नटखट बंदर था शैतान
अकड़ू चलता सीना तान
मार झपट्टा करे बवाल
लगता वो आँधी तूफान
बच्चों से छीने सामान
करता वो सबको हलकान
वजह बेवजह करता घात
आफत में थी सबकी जान
मीठा हो या हो नमकीन
लेता बच्चों से वो छीन
कभी-कभी ले आँखें मींच
लटक पेड़ या बैठ जमीन
बच्चे खाते उससे खार
दुनिया थी उससे बेजार
सभी भगाते उसको रोज
झिड़क झिड़क कर देते मार
खी खी कर दिखलाता दाँत
डरे नहीं ना खाए मात
करे शरारत वो बदमाश
आदत ना बदले बदज़ात
बच्चों ना बनना शैतान
न करना सबको परेशान
करना तुम सबका सहयोग
हो पहचाना या अनजान
अशोक श्रीवास्तव 'कुमुद'
राजरूपपुर, प्रयागराज
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