🏛️ संसद से विधानमंडलों तक 🇮🇳
संसद से विधानमंडलों तक
सरकारी दफ़्तर से दीवानी तक
नौकरशाही से थानेेदारी तक
जिले से पंचायत तक
ये जो न्याय के बने मयखाने हैं
बिना लाग - लपेट बोलूँ साहब
ये सब हरामखोरो के ठिकाने हैं
परधानी में बैठे जितने हुक्काम है
इक्के - दुक्के छोड़ दें तो
सभी नमकहराम है
किसने कहा घुसखोरी सिर्फ बिचौलियों का काम है
एक कुर्सी ऊपर बैठा यहाँ हर साहब दलाल है
खद्दड़ और ख़ाकी के मैलेपन का चमक भी बेजोड़ है
काली कमाई के रम में डूबा वर्दी का हर छोर है
ग़रीबी और लाचारी की जमीन पर
जनता एक बिछी कालीन है
जिसको ज़माने से रौंदते रहें
हुक्काम, अफसर और कैपिटलिस्ट हैं।
यहाँ कम्युनिस्टों की भी जाति है
सोशलिस्टों की भी पूंजी है
एलिटों की फिलॉसफी
और जनता बैठी चाट रही धर्म की अफ़ीम है
जिस देश में अब भी आधी जनता
पलती है राशन के खैरातों पर
उस देश की अंतर्राष्ट्रीय ख्याति भी कमाल है
सच कहूँ तो ये डेमोक्रेसी
पैसे वालों की दुर्ग दीवार है
बाकी जो लाचार थे
अब भी लाचार हैं
पूछो जो साहेब से देश क्यों बदहाल है
सुना है राष्ट्रवाद की घुट्टी पीकर जनता बड़ी खुशहाल है
भाग्य श्री
हैदरनगर, झारखंड
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