बी. एल. आच्छा की कविता : बीज

Dr. Mulla Adam Ali
0

Hindi poetry

बीज

बी. एल. आच्छा

बीज

कितना छोटा-सा

कितना हल्का

एक सिम की तरह

उत्कीर्ण किये सृजन के हस्ताक्षर।


मिट्टी, पानी और हवा में सनकर आकाशी सपने-संवाद लिए

खोल देता है आँखें

जीवन के बीजाक्षर।


भीतर कितने समाये हैं

किसलय-हथेलियाँ

डालियों का भुजबल

फूलों के चटक रंग

फलों का मोहक संग।


पर यही नहीं है जीवन रस उसका

डी.एन.ए. का लेखा-जोखा

दर्शन उसका भी है

अध्येता स्वधर्म का भी निकला है आकाशी जीवन यात्रा पर।


जानता है कि

पंछी भी बना देंगे उसे हाउसिंग बोर्ड भैंसें-गायें भी खुजलाएँगी पीठें

कूद लगाएँगे शाखा मृग

 मुँह में पानी लाकर

फल की आस जगाए

 बच्चे मारेंगे पत्थर।


कभी कल्लू काटेगा-बीनेगा डाली सिकती रोटी का चूल्हा बन

 महल चलाएँगे आरी 

सुंदरता की इठलाती पूँजी बन।

झूले डालेंगे राधा-कान्हा

रोमानी रंगत में सज-धज कर कभी झुनिया लाएगी होरी की रोटी

लिए छाछ की तरी संग।


कभी पहाड़ की चोटी पर

पत्थरों में जड़ें गड़ाएगा

 कभी तलहटी में बसकर

फिर चढ़कर पर्वतारोही-सा

पत्तों से परचम लहराएगा।

अमराई- सा छा जाएगा।


पतझड़ में खिर-खिर कर

सूखे पत्तों में खड़खड़ाएगा

फिर तपन भरे जीवन में

 गुलमोहर-सा सरसराएगा।


होली खेलेगा टेसू में

इमली से ललचाएगा

फिर गंजेपन में नई परत

 हरे बालों को झलकाएगा।


और जेठ की झुलसन में 

जीवन विषाद पर ठहरे से

 बूँदों की प्रत्याशा में 

पत्तों तक को नहीं हिलाते।


झरते पल्लव पर नव पल्लव 

 नूतनता का संज्ञान लिए

 निर्मल हो जाते फल आने पर

 धरती के सुख का संज्ञान लिए।


है उनका आनुवंशिक संविधान

फेंकता है फिर बीज भाव

थोथे टंटों, मजहब के रट्टों

 ऊँचे-नीचे की परतों

 कंडिका अनुच्छेदों की शर्तों से

विलग लिए जीवट

सपनों सा हरित जीवन - विधान।

बी. एल. आच्छा

नॉर्थटाऊन अपार्टमेंट
फ्लैटनं-701टॉवर-27
स्टीफेंशन रोड (बिन्नी मिल्स)
पेरंबूर, चेन्नई (तमिलनाडु)
पिन-600012

मो-9425083335

ये भी पढ़ें;

सदाबहार है कुर्सी-क्रोन: बी. एल. आच्छा

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष कविता : ब्रह्मांड का आह्वान - मंजु रुस्तगी

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top