आदित्य रहबर की पंक्तियां : Aditya Rahbar Poetry - Hindi Poetry
आदित्य रहबर की पंक्तियां.... 🌻
नाली से कचरा निकालते बच्चे की
कभी देह देखना
उसके हिस्से का मांस
संसद की चर्बी बनकर उभर आया है
वह नाले से कचरा नहीं निकालता!
वह सदियों से, हर दिन
हमारा नंगा सच निकाल रहा होता है
जिसे हम लोकतंत्र के गटर में,
बहत्तर वर्षों से छिपाते आ रहे हैं।
- आदित्य रहबर (Aditya Rahbar)
ये भी पढ़ें;
✓ भाग्य श्री की कविता : गीत जश्न - ए - आज़ादी का हम न गाएंगे
✓ मेरी अपनी कविताएं : डॉ. मुल्ला आदम अली
✓ Jnanpith Award : ज्ञानपीठ पुरस्कार किस क्षेत्र में दिया जाता है