मैं तुम्हें आश्वासन देती हूं
तुम जिस शांति और संतुलन की वकालत करते हो
जिन अनगिनत दबी और मरी चीखों पर
तुमने ये शांति के मंदिर बनाए हैं
न जाने कितने पंखों को काट
तुमने उड़ान का एक संतुलन बनाया है
उस शांतिपूर्ण और संतुलित व्यवस्था में
तुम मुझे एक विद्रोही और बागी़ ही पाओगे
और मुझ जैसा हर बागी़
अपनी पुरजोर ताकत के साथ
तोड़ेगा तुम्हारी व्यवस्था के हर नैतिक प्रतिमानों को
टूटेंगे सारे मठ
जो संरक्षक हैं इस व्यवस्था के
मैं तुम्हें आश्वसन देती हूँ मेरे दोस्त
हम विद्रोहियों की ललकार से
तुम्हारी व्यवस्था का
हर संतुलन बिगड़ेगा
टूटेंगे सारे स्तंभ और हर गुंबद ढहेगा
भाग्य श्री
हैदरनगर, झारखंड
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