अब की नवरूपों में माता, मेरे घर में पधारो,
मन की आसुरी वृत्तियों को, चुन-चुन तुम संहारो।
शांत बनूँ शैलपुत्री सी, ब्रह्मचारिणी सी ज्ञानी,
कल्याणी चंद्रघंटा सी, कूष्मांडा सी सुखकारिणी।
स्कंदमाता की आशीष पाकर, मन शुद्धि हो जाए,
कात्यायनी सी हो प्रकाशमय, पाप सकल मिट जाए।
कालरात्रि सा तेज मैं पाकर, करूँ दुष्टों का नाश,
महागौरी की कृपा पाकर, छूटे मिथ्या पाश।
सिद्धिदात्री रूप में माता, सब पर सुख बरसाओ,
सकल विश्व को अनाचार से, अब तुम मुक्त कराओ।
हर बेटी में होके समाहित, करो शक्ति-संचार,
नर का हो नारी के प्रति, संस्कारित व्यवहार।
शिव-शक्ति के प्रति समर्पित, यह नवरात्रि त्यौहार,
आओ माता बिराजो हृदय में, मन का खुला दरबार।
डॉ. मंजु रुस्तगी
ये भी पढ़ें; Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि पर्व पर विशेष कविता
Tags: Happy Navratri 2023, Shardiya Navratri 2023, शारदीय नवरात्रि 2023, poem on durga MAA, happy navratri 2023, navratri special poetry...