Bhagya Shree Hindi Poetry : कविता कोश में आज आपके सामने प्रस्तुत है भाग्य श्री द्वारा लिखित कविता "शाखों से पत्तों का टूट जाना", पढ़े और आनंद लें।
शाखों से पत्तों का टूट जाना
शाखों से पत्तों का टूट जाना
एक स्वभाविक प्रक्रिया है
पर टहनियाँ पत्तों से जुड़ना कहाँ छोड़ती हैं
हम इंसान
नाकाम रिश्तों
नाकाम उम्मीदों के पुलिंदे बांधे फिर रहें
फिर भी
नयी उम्मीदों से जुड़ना कहाँ छोड़ पाते हैं
हर बार गिर कर
ठोकरे खा कर
विश्वासों पर आघात झेलकर
उठना, संभलना और यकीन करना
कहाँ छोड़ते हैं
इंसान इस दुनिया में सीखने ही यही आता है
कि कैसे हर बार चोटिल होकर
थक - हारकर
वक़्त की मार खा कर
जमीन में धस कर भी
वह जिंदगी की जड़ों से जुड़े रहना नहीं छोड़ता है
वो हर हाल में जीना सीखता है
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