Nidhi Mansingh Ghazal in Hindi : अरमान

Dr. Mulla Adam Ali
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Nidhi Mansingh Ghazal in Hindi : कविता कोश में आज हम आपके लिए निधि 'मानसिंह' की हिंदी ग़ज़ल "अरमान" पेश कर रहे हैं। गजल को पढ़े और आनंद लें।

अरमान

न जाने क्यूँ अपने अरमानों को

दिल में दबाकर? 

खुद को जीना सीखाते है हम।


यूँही बेवजह मुस्करा कर,

खुद को बहलाते है हम।


उनसे मिलने की उम्मीद

रहती है हरदम,

ये बात जमाने से छिपाते है हम।


तुम्हारे लिए रातभर जागकर

अपने अल्फाजों को डायरी मे,

सजाते हैं हम।


अपनी तन्हाइयों मे बसाकर

तुम्हारी यादें,

बस! खामोश हो जाते हैं हम


निधि 'मानसिंह'

कैथल, हरियाणा

nidhisinghiitr@gmail.com

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