Nidhi Mansingh Ki Kavita "Aurat" : Hindi Kavita
कविता कोश में आज आपके समक्ष प्रस्तुत है निधि मानसिंह की कविता "औरत" पढ़े और आनंद लें।
औरत
ईश्वर का वरदान है औरत
सदा सरल मुस्कान है औरत।
पग-पग पर सुमंगलकारी
रिश्तों की पहचान है औरत।
बिन बोले सब जाने औरत
खुद से बढ़कर रिश्तों को माने औरत।
सब दुःखों मे आगे बढकर
खुद को चट्टान सा ताने औरत।
हंसती - मुस्कुराती शाम है औरत
सब दुःखों पर विराम है औरत।
मदिंर मे जलते दीपक सी
शुभ पवित्र धाम है औरत।
ममता के पेड की छांव है औरत
सुख मे पलता एक गांव है औरत।
हार - जीत की चिंता से मुक्त
प्यार के रिश्तों का दांव है औरत।
निधि 'मानसिंह'
कैथल हरियाणा
nidhisinghiitr@gmail.com
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