बिहारीलाल के दोहे : जब-जब वै सुधि कीजियै, तब-तब सब सुधि जाँहि - Bihari Lal Ke Dohe with Meaning
Bihari Lal Ke Dohe with Meaning : बिहारीलाल के दोहे अर्थ सहित
जब-जब वै सुधि कीजियै, तब-तब सब सुधि जाँहि।
आँखिनु आँखि लगी रहैं, आँखें लागति नाहि॥
Jab-Jab Vai Sudhi Kijiye, Tab-Tab sab Sudhi Jaahin.
Ankhinu Ankhi lagi rahin, Aankhe laagati Naahi..
भावार्थ: बिहारी लाल भाग 51 "बिहारी सतसई" के इस दोहे में कहते हैं कि नायिका अपनी सखी से कहती जब भी अपनी प्रियतम को याद करती है तो तब अपनी चेतना (सुधि) खो जाती हूं। मेरी आंखों के ध्यान उनकी आंखों से लगी रहती है। इस तरह मुझे नींद भी नहीं आती। बेचैन होकर पूरी रात यूंही काट देते हैं।
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