Bihari Ke Dohe : पिय बिछुरन कौ दुसहु दुखु, हुरषु जात प्यौसार - Piya Bichurun Ko Dusho Dukh - बिहारी के दोहे हिंदी में अर्थ सहित
बिहारी के दोहे अर्थ सहित : Bihari Lal Ke Dohe with Hindi Meaning
पिय−बिछुरन कौ दुसहु दुखु, हुरषु जात प्यौसार।
दुरजोधन लौं देखयति तजत प्रान इहि बार॥
Piya Bichuran ko dusho dukh, hurashu jaat pyausaar.
durajodhan laun dekhyati tajat praan ihi bar..
भावार्थ : अपनी ससुराल से एक नायिका अपने पीहर जा रही है। एक तरफ़ उसको अपने पिता के घर जाने का सुख तो है लेकिन दूसरी ओर अपने प्रियतम से बिछड़ने का दुख भी है। इस दोहे में महाकवि बिहारी ने नायिका की इस वेदना की मनोस्थिति की समानता दुर्योधन के अंतकाल से तुलना की है। नायिका को अपनी पीहर जाने का आनंद तो है लेकिन अपने प्रियतम से बिछड़ने का दुख भी है। नायिका की स्थिति ठीक उसी प्रकार है जो दुर्योधन की प्राणांत होते समय की थी।
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