Bal Kavita: बच्चों के लिए रचना - किटी गिलहरी
किटी गिलहरी
(काव्य संग्रह "चंचल चुनमुन" से)
किटी गिलहरी करे करिश्मा,
पहने पायल पहने चश्मा,
सुने कहीं जब सुन्दर नगमा,
नाचे छम छम छम्मा छम्मा।
तरह तरह के भाव दिखाती,
नाच कूद के मन बहलाती,
नहीं किसी को दुख पहुँचाती,
सब के मन को खुश कर जाती।
बच्चों मन हो संत सरीखा,
मीठा बोलो कभी न तीखा,
देना नहीं किसी को धोखा,
सीधा सच्चा बनो अनोखा।
अशोक श्रीवास्तव "कुमुद"
राजरूपपुर, प्रयागराज (इलाहाबाद)
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