New Books on Munshi Premchand by Pradeep Jain
प्रेमचंद के रचनाओं पर हिंदी और उर्दू में अध्ययन करने वाले केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वरिष्ठ फेलोशिप, उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा 'प्रेमचंद एवार्ड', अनेक साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्थानों द्वारा सम्मानित डॉ. प्रदीप जैन जी द्वारा लिखी गई उपन्यास सम्राट् प्रेमचंद पर 5 नयी पुस्तकें।
उपन्यास सम्राट् प्रेमचंद पर प्रदीप जैन के 5 नयी पुस्तकें
पाँचों पुस्तकों के परिचय, महत्त्व, मूल्य आदि का संक्षिप्त विवरण निम्नांकित है।
1. जमाना : प्रेमचंद विशेषांक (प्रथम प्रकाशन 1937)
कानपुर से मुंशी दयानारायण निगम के सम्पादन में प्रकाशित होने वाली उर्दू मासिक पत्रिका जमाना वह पत्रिका है जिसने प्रेमचंद को प्रेमचंद बनाया। यही नहीं नवाब राय के नाम से लिखने वाले धनपत राय को प्रेमचंद का नाम देने का श्रेय भी निगम साहब को ही जाता है। अक्तूबर 1936 में प्रेमचंद का देहावसान हो जाने पर निगम साहब ने अगले वर्ष 1937 में जमाना का भारी भरकम प्रेमचंद विशेषांक प्रकाशित किया था जो एक ऐतिहासिक कार्य था। 1937 से अब तक यह विशेषांक हिन्दी पाठकों को उपलब्ध नहीं था, जिसका अविकल हिन्दी अनुवाद शोधपरक टिप्पणियों सहित प्रकाशित किया जा रहा है।
पृष्ठ संख्या 365 मूल्य ₹600
बुकिंग हेतु सम्पर्क कीजिए:
डॉ. प्रदीप जैन
मो. 9410063793
2. हंस : प्रेमचंद स्मृति अंक (प्रथम प्रकाशन 1937)
हंस प्रेमचंद की अपनी हिन्दी मासिक पत्रिका थी, जिसने उनको सारस्वत श्रद्धांजलि देने के लिये मई 1937 का अंक प्रेमचंद स्मृति अंक के रूप में प्रकाशित किया था। इस विशेषांक के अतिथि सम्पादक थे हिन्दी पत्रकारिता के भीष्म पितामह बाबूराव विष्णु पराड़कर जी। समय के साथ दुर्लभ हो चला हंस का यह विशेषांक आधुनिक कम्प्यूटर कम्पोजिंग में, शोधपरक टिप्पणियों के साथ पहली बार पुन: प्रकाशित किया जा रहा है।
पृष्ठ संख्या 288 मूल्य ₹500
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डॉ. प्रदीप जैन
मो. 9410063793
3. मुंशी प्रेमचंद : व्यक्तित्व एवं कृतित्व (प्रथम प्रकाशन 1962)
उर्दू के सुप्रसिद्ध प्रेमचंद विशेषज्ञ प्रो. कमर रईस ने 1962 में तब तक प्रेमचंद पर प्रकाशित हो चुके 150 से अधिक उर्दू लेखों में से चयन करके 26 अत्यन्त महत्त्वपूर्ण लेखों का संकलन प्रकाशित कराया था, जिसके द्वितीय संस्करण में दो लेखों की वृद्धि की गई थी। उर्दू भाषा और उसकी लिपि से अपरिचित हिन्दी पाठकों की सुविधा के दृष्टिगत इस महत्त्वपूर्ण संकलन का अविकल हिन्दी अनुवाद शोधपरक टिप्पणियों के साथ प्रकाशित किया जा रहा है।
पृष्ठ संख्या 360 मूल्य ₹600
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डॉ. प्रदीप जैन
मो. 9410063793
4. प्रेमसोग (प्रथम प्रकाशन 1937)
प्रेमचंद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर हैदराबाद के मौ. हसामुद्दीन खाँ गौरी ने सबसे पहली किताब लिखी जो 1937 में उर्दू में प्रकाशित हुई। प्रेमचंद के अध्येता इस पुस्तक को उनके प्रथम उपन्यास असरारे मआबिद के सन्दर्भ से जानते हैं जिसमें इसका अशुद्ध नाम इसरारे मुहब्बत दिया गया है। हिन्दी वालों के लिये तो उर्दू भाषा एवं लिपि एक अबूझ पहेली है, परन्तु यह पुस्तक इतनी दुर्लभ है कि अधिकांश उर्दू वालों ने भी नहीं देखी है। इसका हिन्दी अनुवाद एवं देवनागरी लिप्यन्तरण शोधपरक टिप्पणियों के साथ प्रकाशित किया जा रहा है।
पृष्ठ संख्या 128 मूल्य ₹260
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मो. 9410063793
5. रामचर्चा (प्रथम प्रकाशन 1929)
प्रेमचंद ने सम्पूर्ण रामकथा गोस्वामी तुलसीदास का अनुकरण करते हुए सात काण्डों में विभाजित करके केवल उर्दू में लिखी थी जो 1929 में लाहौर से प्रकाशित हुई थी। प्रेमचंद ने रामकथा लिखते हुए कतिपय अभिनव परिकल्पनाएँ भी की थीं जो आधुनिक काल के नवीन दृष्टि से रामकथा गुम्फित करने वाले लेखकों का स्मरण दिलाने में सक्षम हैं। दुर्भाग्य से प्रेमचंद जैसे विश्वविश्रुत लेखक द्वारा लिखी गई रामकथा का उल्लेख व्यापक नहीं हो सका और यह अमूल्य कृति विस्मृति के अंधेरों में खोकर रह गई। इसका अविकल हिन्दी अनुवाद एवं देवनागरी लिप्यन्तरण एक साथ प्रकाशित किया जा रहा है जो प्रेमचंद साहित्य के सम्बन्ध में पहली ही घटना होने के कारण ऐतिहासिक महत्त्व रखती है।
पृष्ठ संख्या 270 मूल्य ₹500
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Dr. Pradeep Jain
मो. 9410063793
पुस्तकों की सीमित प्रतियों पर विशेष छूट निम्नानुसार उपलब्ध होगी:
1. पाँचों पुस्तकें एक साथ लेने पर 35%
2. जमाना:प्रेमचंद विशेषांक तथा हंस:प्रेमचंद स्मृति अंक दोनों एक साथ लेने पर 30%
3. अन्य कोई भी पुस्तक लेने पर 25%
4. पुस्तकालयों एवं संस्थाओं के लिये 20%
पुस्तकें मार्च में प्रेषित की जायँगी।
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डॉ. प्रदीप जैन
मो. 9410063793
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