Bal Kavita: Bandook by Nidhi Mansingh
Poem On Gun in Hindi : Baal Kavita on Gun : हिंदी बाल कविता
बंदूक
पापा जब दफ्तर से आना
एक बंदूक हमारी लाना।
दुश्मन कोई आये तो,
उसकों मार भगाऊं।
बनकर वीर सिपाही देश का
देश की शान बढाऊं।
मुझकों तो अच्छा लगता है
मां का सपूत कहलाना।
पापा जब दफ्तर से आना
एक बंदूक हमारी लाना।
सिर पर मैं पहन चलूंगा
टोपी फौजी वाली।
वर्दी पहन के सीना ताने
चाल चलूंगा मतवाली।
देख हमारे रंग ढंग को
शान से ताली बजाना।
पापा जब दफ्तर से आना
एक बंदूक हमारी लाना।
जब मैं बड़ा हो जाऊंगा
बनूंगा वीर सेनानी।
जात - पात कोई भी हो
पर ये दिल है हिन्दुस्तानी।
हमने भी सीख लिया अब,
नाम अमर कर जाना।
पापा जब दफ्तर से आना
एक बंदूक हमारी लाना।
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