Stuti Rai Hindi Poetry
मैंने देखा है
मैंने देखा है
एक ऐसे व्यक्ति को
जो वर्षों से
प्रेम करता आ रहा है
बिना किसी उम्मीद में
बस वह प्रेम जानता है
वो नहीं चाहता
उसे पा लेना
लेकिन
वो चाहता है
उसे खुद में जी लेना
वो करता रहेगा प्रेम
सदियों तक
वो जीता रहेगा प्रेम
बिना किसी उम्मीद में
मैंने देखा है
उस व्यक्ति को
प्रेम में रोतें हुए
तड़पते हुए
प्रेम दर्द है
और वो उसे
आनंद की चरमावस्था पर
ले जाना चाहता है ।
Poetry by Stuti Rai
मैंने प्रेम किया
मैंने प्रेम किया
हर बार किया
कोई अजनबी मिल ही जाता है
लेकिन
हर बार चला जाता है
प्रेम
और बची रह जाती है तो
सिर्फ कविताएं।
स्तुति राय
शोध छात्रा,
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ
वाराणसी
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