Mann Karta Hai Hindi Poem for Children by Dr. Surendra Dutt Semalty
बाल कविता
"मन करता है"
- डॉ. सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी
मन करता है नभ को छू लूँ ,
पर अपनी धरती ना भूलूँ।
सभी जगह घूमकर आऊँ,
परेशानियों से ना घबराऊँ।
बने हैं जो रहस्य अभी तक,
उन्हें ढूँढ कर लाना है हक!
अच्छाई में रहूँ न पीछे,
और गिरूँ न कभी भी नीचे।
लेकर चलना चाहता साथ,
यह दुनिया की अच्छी बात।
जो न खोज पाये अब तक,
समझता वहाँ पहुँचना हक।
मेहनत से मिलता मीठा फल,
और बनता है सुखमय कल।
जो दबे और कुचले हैं जन,
उनका खिलाना चाहता मन।
हैं जो श्रेष्ठ और वृद्ध जन,
समझें उन्हें सर्व श्रेष्ठ धन।
जिस धरा मे जन्म लिया है,
सबकुछ जिसने हमें दिया है।
उसके खातिर मर-मिट जायें,
ऐसा कर सब पुण्य कमायें।
बनें पढ़-लिखकर संस्कारित,
निहित है इसमे सबका हित।
डॉ. सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी
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