Pari : Poetry for Childrens by Ashok Srivastava Kumud
परी
(काव्य संग्रह 'चंचल चुनमुन' से, बच्चों के लिए रचना)
(Poem for Kids : Pari Bal Kavita)
दूर गगन में उड़े निरंतर,
परी लोक की राजकुमारी।
सुन्दर आँखें पंख सुनहले,
मनमोहक लगती वो प्यारी।।
मुख से झरते फूल महकते,
रह रहकर जब वो मुस्काती।
नभ में इंद्रधनुष बन जाते,
जब जादू की छड़ी घुमाती।।
निकल कहानी किस्सों से वो,
सब बच्चों के मन को भाती।
बच्चों के सपनों में आकर,
संग खेल कर उन्हें लुभाती।।
अशोक श्रीवास्तव "कुमुद"
राजरूपपुर, प्रयागराज (इलाहाबाद)
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