Poem on Women's Day in Hindi: महिला दिवस पर कविता "मैं वो नारी हूं"
मैं वो नारी हूं
आओ सुनाऊं अपनी कहानी,
अपनी व्यथा है बहुत पुरानी।
बचपन नहीं यह मेरा,
मिट्टी से नहाना है,
कहता मुझसे हर सवेरा।
कौन जाने कड़ी धूप की चुभन क्या होती है?
कौन जाने मिट्टी की सुगंध क्या होती है?
लादे शीश पर पत्थरों की धार,
कौन जाने होगी कितनी यह भार?
न मैं पुरुष हूं,न मैं नारी हूं,
मैं झांसी की रानी हूं।
लड़ती थी वीर-योद्धाओ से,
वो झांसी वाली रानी थी।
लड़ती हूं मैं ईंट- पत्थरों से,
यही मेरी कहानी थी।
फिर भी नहीं है मुझमें कोई ग़म,
मुस्कुराना हैं मुझे हर दम।
बढ़ते चलेंगे मेरी यह कदम,
हो गई अपनी कहानी खत्म।
जे. सुगंधा,
नेल्लौर, आंध्र प्रदेश
ये भी पढ़ें; Poem On Mother In Hindi 2024 : माँ पर कविता निस्वार्थ प्रेम
महिला दिवस पर कविता, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024, नारी शक्ति पर कविता, स्त्री सशक्तिकरण पर कविता, राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 पर कविता, 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हिंदी कविता, कविता कोश, 8 march international women's day 2024, poem on women's day 2024, women's day special poem, mahila diwas 2024, hindi kavita, kavita kosh...