"निस्वार्थ प्रेम" माँ पर कविता | Poem On Mother In Hindi 2024
निस्वार्थ प्रेम
खूबसूरत विराट-सी दुनिया में,
प्रत्येक हिलते-डुलते प्राणियों में।
एक वह रिश्ता स्थाई है,
जिस रिश्ते से सब कहते वह मेरी माई हैं।
मां तेरी ममता में कोई खोट नहीं,
मां तेरी विचारों में कोई चोट नहीं।
मां तेरी अंचल की कोमलता,
मां मेरे रोने से तेरी व्याकुलता।
किसी विद्वान ने सही कहा है,
प्रेम अंधा होता है।
जी हैं... मां का प्रेम अंधा होता है।
क्योंकि...
कोक में पलते नौ माह पूर्व से,
मां प्रेम कर बैठती है अपने संतान से।
निस्वार्थ प्रेम है मां तुम्हारा,
हमारी दुनिया तुमने है संवारा।
मां तुम मेरे भगवान हो,
मां तुम मेरे शक्तिमान हो।
तुम्हारे बिना ना होती पहचान हमारा,
कभी नहीं जान पाती ये दुनिया सारा।
तुम्हारे प्रेम की तुलना नहीं कर सकते किसी से,
ऐसा प्रेम नहीं मिलता हर किसी से।
दुनिया में शिशु प्रवेश करते ही पहला रिश्ता मां से शुरू होता है,
और मां की गोद में सोता है।
बुढ़ापे के अंत तक कोई इस रिश्ते को मिटा नहीं सकता। शव बनकर धरती मां की गोद में सोता है।
जे. सुगंधा,
नेल्लौर, आंध्र प्रदेश
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