Hindi Kavita : Idgah Ka Hamid Poem by Shivcharan Chauhan
Idgah Ka Hamid
Idgah Ka Hamid Kavita : कविता कोश में आज आपके लिए शिवचरण चौहान जी द्वारा लिखी गई कविता "ईदगाह का हामिद"। पढ़े और शेयर करें।
ईदगाह का हामिद
पहले जैसा नहीं रहा अब
ईदगाह का हामिद।
गूगल डोंगल चला रहा अब
ईदगाह का हामिद।।
गैस उज्ज्वला, घर में आई
फ्री में गेहूं चावल।
फ्री में नमक, तेल, पानी सब
बता गया पतरावल।
खुशी खुशी अब देख रहा सब
ईदगाह का हामिद।।
दादी को पेंशन आती है
खाते में हर महिने।
नहीं उंगलियां जलें तवे में
चिमटे के क्या कहने।
कालिज में पढ़ रहा आज अब
ईदगाह का हामिद।।
अब भी लगते ईदगाह में
पहले जैसे मेले।
आते हैं अब नए खिलौने
जो मन भाए ले ले।
बैठे गूगल चला रहा अब
ईदगाह का हामिद।।
पहले जैसा नहीं रहा अब
ईदगाह का हामिद।।
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