Idgah Ka Hamid Poem by Shivcharan Chauhan : ईदगाह का हामिद

Dr. Mulla Adam Ali
0

Hindi Kavita : Idgah Ka Hamid Poem by Shivcharan Chauhan

कविता कोश में आज आपके लिए शिवचरण चौहान जी द्वारा लिखी गई कविता "ईदगाह का हामिद"। पढ़े और शेयर करें।

ईदगाह का हामिद

पहले जैसा नहीं रहा अब

ईदगाह का हामिद।

गूगल डोंगल चला रहा अब

ईदगाह का हामिद।।

गैस उज्ज्वला, घर में आई

फ्री में गेहूं चावल।

फ्री में नमक, तेल, पानी सब

बता गया पतरावल।

खुशी खुशी अब देख रहा सब

ईदगाह का हामिद।।

दादी को पेंशन आती है

खाते में हर महिने।

नहीं उंगलियां जलें तवे में

चिमटे के क्या कहने।

कालिज में पढ़ रहा आज अब

ईदगाह का हामिद।।

अब भी लगते ईदगाह में

पहले जैसे मेले।

आते हैं अब नए खिलौने

जो मन भाए ले ले।

बैठे गूगल चला रहा अब

ईदगाह का हामिद।।

पहले जैसा नहीं रहा अब

ईदगाह का हामिद।।

शिवचरण चौहान
कानपुर
shivcharany2k@gmail.com

ये भी पढ़ें; Bal Kavita Eid Mubarak : बाल कविता ईद मुबारक

Eidgah Ka Hamid Kavita, Hindi Kavitayein, Bal Kavita, Shivcharan Chauhan Poetry in Hindi, Kavita Kosh, Munshi Premchand Idgah, Children's Poetry, Children's Poems in Hindi...

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top